80 के दशक में जब दुनिया के तमाम देशों में हिंसक घटनाएं तेज होने लगी तब शांति दिवस (पीस डे) मनाने की बात शुरू होने लगी. उस समय तमाम तरह की हलचलों और संघर्षों से जूझ रहे सभी देशों और लोगों के बीच शांति के आदर्शों को प्रोत्साहित करने के लिए संयुक्त राष्ट्र ने साल 1981 से इस दिवस की शुरुआत की. संयुक्त राष्ट्र संघ (यूएन) ने 1981 में यह निर्णय लिया कि ‘विश्व शांति दिवस’ मनाया जाए.
आपको बता दें कि 1982 से लेकर 2001 तक इस दिवस को हर साल सितंबर महीने के तीसरे मंगलवार को मनाया जाता था लेकिन दो दशक बाद 2001 में संयुक्त राष्ट्र महासभा ने एक राय से 21 सितंबर के दिन को अंहिसा और युद्धविराम का दिन घोषित किया और साल 2002 से यह 21 सितंबर को मनाया जाने लगा. तब से अंतरराष्ट्रीय शांति दिवस विश्वभर में मनाया जा रहा है. ‘यह दिवस उन लोगों को भी सीख देता है जो समाज में अशांति का सहारा लेकर हिंसा फैलाते हैं.
आइए इस दिवस पर समाज में शांति बनाए रखने के लिए लोगों को जागरूक करें
संयुक्त राष्ट्र महासचिव एंटोनियो गुटेरेस ने विश्व शांति दिवस पर एकजुटता और एकता का आह्वान किया है. गुटेरेस ने कहा है कि इस बार अंतरराष्ट्रीय शांति दिवस ऐसे समय है, जब मानवता संकट में है. कोरोना से चार मिलियन से अधिक जीवन प्रभावित हुआ है. लोगों का संघर्ष नियंत्रण से बाहर है, दुनिया में असमानता और गरीबी बढ़ रही है, जलवायु परिवर्तन आपात स्थिति में है. यूएन महासचिव ने कहा कि ऐसे में हम सभी दुनिया के देशों से अपील करते हैं कि वो एक साथ आएं और एक-दूसरे की मदद करें.
एंटोनियो गुटेरेस ने कहा कि ‘हमारी दुनिया के सामने दो ही विकल्प हैं. शांति या स्थायी संकट। मेरे दोस्तों हमें शांति चुननी चाहिए. यह हमारी टूटी हुई दुनिया की मरम्मत का एकमात्र विकल्प है’. उन्होंने दुनिया भर के लड़ाकों से हथियार डालने और वैश्विक संघर्ष विराम दिवस मनाने का आह्वान किया है. ‘आइए आज विश्व शांति दिवस पर हम भी समाज में शांति स्थापित करने के लिए लोगों को जागरूक करें. क्योंकि छोटी सी जिंदगी में सुकून और शांति के पल स्वस्थ शरीर के लिए टॉनिक का काम करते हैं’.
शंभू नाथ गौतम, वरिष्ठ पत्रकार