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उत्तराँचल टुडे विशेष: बॉलीवुड डायरेक्टर श्याम बेनेगल ने अपने निर्देशक करियर में सिनेमा को तीन भागों में दर्शकों तक पहुंचाया

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हम आपको बता दें कि श्याम बेनेगल ने अपने निर्देशक की पारी में हिंदी सिनेमा को तीन भागों में विभक्त कर दर्शकों तक पहुंचाया. सत्तर और अस्सी के दशक में उन्होंने ‘अंकुर’ और ‘निशांत’ जैसी विद्रोही तेवर वाली फिल्मों का निर्देशन किया. इसके बाद वे ‘कलयुग’ तथा ‘त्रिकाल’ जैसी मध्यमार्गी फिल्मों की ओर लौटे, जिनमें प्रयोगवाद था. उसके बाद ‘मम्मो’, ‘सरदारी बेगम’ और ‘जुबैदा’ जैसी फिल्मों का निर्देशन किया. इन्हें सार्थक लोकप्रिय सिनेमा के नाम से पुकारा गया. बेनेगल ने वर्ष 1974 में फिल्म अंकुर का निर्माण किया था.

उसके बाद निशांत, मंथन, मंडी, सरदारी बेगम, मम्मो, सूरज का सातवां घोड़ा, वेल्कम टू सज्जनपुर, हरी भरी और आरोहण, कलयुग, जुबैदा जैसे कई खास फिल्‍में बनाकर कामयाबी की बुलंदियों को छुआ ‘अंकुर’ के लिए के लिए बेनेगल और शबाना दोनों को राष्ट्रीय पुरस्कार से नवाजा गया था. ‘मंडी’ फिल्‍म बनाकर उन्‍होंने इस बात को साबित कर दिया कि वे इतनी बोल्‍ड फिल्‍म भी बना सकते हैं और सरदारी बेगम में उन्‍होंने समाज से लड़कर संगीत सिखने वाली एक महिला की कहानी पेश की, जिसे समाज स्‍वीकार नहीं करता. इन फिल्मों से वे निरंतर समाज की सोई हुई चेतना जगाने की प्रयास करते रहे. सत्‍यजीत रे के निधन के बाद श्याम बेनेगल ने ही उनकी विरासत को संभाल रखा है.

डायरेक्टर बेनेगल ने बॉलीवुड को कई दिग्गज कलाकार भी दिए

श्‍याम बेनेगल ने न सिर्फ समानांतर फिल्‍मों को एक खास पहचान दिलाने में मदद की बल्कि भारतीय सिनेमा को बेहतरीन कलाकार दिए, जिनमें नसीरुद्दीन शाह, ओम पुरी, अमरीश पुरी, अनंत नाग, शबाना आजमी, स्मिता पाटिल और सिनेमेटोग्राफर गोविंद निहलानी प्रमुख हैं. श्‍याम बेनेगल ने 1200 से भी अधिक फिल्मों का सफल निर्देशन किया है. इसके अलावा उन्होंने टेलीविजन के छोटे पर्दे पर भी छाप छोड़ी है जिसे नजरअंदाज नहीं किया जा सकता. देश के पहले प्रधानमंत्री पंडित जवाहर लाल नेहरू द्वारा आजादी से पहले जेल में लिखी गई ‘डिस्कवरी ऑफ इंडिया’ को आधार बनाकर ‘भारत एक खोज’ के नाम से एक ऐसी टेलीविजन सीरीज भी पेश की जिसने भारतीय टेलीविजन के इतिहास में नया आयाम हासिल किया.

इसके अलावा धारावाहिक ‘यात्रा’, ‘कथा सागर’ का भी निर्माण किया. नीरा बेनेगल उनकी पत्नी हैं और पुत्री पिया भी एक प्रसिद्ध कॉस्ट्यूम डिजाइनर हैं. भारत सरकार ने कला के क्षेत्र में उनको 1991 में ‘पद्मभूषण’ सम्मान प्रदान किया, 2007 में उन्हे भारतीय सिनेमा के सर्वश्रेष्ठ ‘दादा साहब फाल्के पुरस्कार’ से भी सम्मानित किया गया. अपनी फिल्मों आरोहण, जुनून, मंथन, निशांत और अंकुर को सर्वश्रेष्‍ठ फीचर फिल्‍म के लिए राष्‍ट्रीय पुरस्‍कार मिला. बता दें कि 5 बार ‘राष्ट्रीय फिल्म पुरस्कार’ जीतने वाले श्याम बेनेगल एकमात्र फिल्म निर्देशक हैं.

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