उत्तराखंड के चमोली में नंदा नदी के ग्लेशियर का हिस्सा टूटने के चलते विकराल रूप अख्तियार करने वाली ऋषिगंगा नदी का खौफ लोगों के मन से हट नहीं रहा है। लोग तबाही के उस मंजर को अपने-अपने ढंग से बयां कर रहे हैं। हमेशा शांत सी दिखने वाली नदी एक दिन अचानक ऐसा रूप क्यों ले लेगी उन्होंने कभी सोचा नहीं था। उनका कहना है कि उन्होंने नदी का ऐसा विकराल रूप कभी नहीं देखा था।
रैनी गांव के एक शख्स ने ग्लेशियर फटने के बाद के उस मंजर को बयां करते हुए कहा कि नदी सफेद धुएं के साथ अचानक मलबा लेकर आती दिखी। उन्होंने ऐसी जलप्रलय न कभी देखी थी और न ही कभी कल्पना की थी। गांव के उदय ने कहा कि सुबह साढ़े नौ बजे के करीब ग्लेशियर टूटने के बाद सफेद धुएं के साथ नदी मलबा लेकर आती नज़र आई।
लोग बुरी तरह डर गए। नदी के तेज बहाव से डरावनी आवाजें निकल रही थीं। ऋषि गंगा ढलान पर बहती है। नदी का पानी तेज बहाव से निचले क्षेत्र में पहुंच गया और सबकुछ तबाह करके चला गया।अब भी सौ से ज्यादा लापता
इस प्राकृतिक आपदा की चपेट में आए ज्यादातर लोग रैंणी और तपोवन की बिजली प्रोजेक्ट से जुडे़ हैं। घटना के बाद स्थानीय पुलिस और प्रशासन के अलावा एनडीआरएफ, आईटीबीपी और सेना राहत और बचाव में जुटी हैं। बता दें कि अबतक 19 शव मिल चुके हैं जबकि 153 लोग अभी भी लापता हैं।
मजदूर सुन न पाए भागो-भागो की पुकार
ग्लेशियर टूटने से नदी के पानी में अचानक आई बाढ़ को देखकर लोग अपने अपने घरों से बाहर निकल गए थे। इस दौरान धौली गंगा पर निर्माणाधीन तपोवन-विष्णुगाड़ जल विद्युत परियोजना के निर्माण में मजदूर काम कर रहे थे। बाढ़ के बीच कई लोग बैराज साइड पर काम कर रहे लोगों को सुरक्षित स्थानों पर चले जाने के लिए आवाज लगा रहे थे लेकिन नदी की तेज गर्जना के चलते मजदूरों को कुछ सुनाई नहीं दिया।
टनल का पता ही नहीं चला
सैलाब में देखते ही देखते परियोजना का बैराज और टनल दफन हो गया। चमोली में धौलीगंगा के किनारे ऋषिगंगा पावर प्रॉजेक्ट पूरी तरह बर्बाद हो गया। वर्तमान में वहां हर तरफ मलबा ही नजर आ रहा है। ऋषिगंगा और धौलीगंगा के आसपास रहने वाले लोगों का सम्पर्क दुनिया से टूट गया है