उत्तराखंड: अभी भी नहीं रुका जंगलों के जलने का सिलसिला, हो रहा पर्यावरण का विनाश

वनों का महत्व पृथ्वी के जीवन के लिए अत्यंत महत्वपूर्ण है। ये हमें ऑक्सीजन प्रदान करते हैं, जो हमारे जीवन के लिए अत्यंत आवश्यक है। वनों को “पृथ्वी के फेफड़े” कहा जाता है क्योंकि वे हमें ऑक्सीजन उत्पादित करने में मदद करते हैं। लेकिन वनों की हालत पर ध्यान देना भी अत्यंत महत्वपूर्ण है।

वनों के जलने की स्थिति को देखते हुए हमें समय रहते उनकी सुरक्षा की जरूरत है। वनों के जलने का बड़ा खतरा पृथ्वी के वायुमंडल के लिए है, जिससे जलवायु परिवर्तन की और और भी तेज़ी से बढ़ सकती है।

भारतीय वन सर्वेक्षण विभाग के अनुसार उपग्रह से प्राप्त वनाग्नि के दृश्यों की विश्लेषण आकड़ों के साथ राज्यों के वन विभागों को प्रस्तुत किया जाता है। यह जानकारी उन्हें वनाग्नि को नियंत्रित करने के लिए तत्काल कार्रवाई करने में सहायक होती है।

24 अप्रैल की सुबह देश के 13 राज्यों में 62 वन क्षेत्रों में भीषण आग लगी हुई थी। इसमें सबसे अधिक आगें हिमालयी राज्य उत्तराखण्ड में देखी गई थी, जहां 30 स्थानों पर जंगल धू-धू कर जल रहे थे। इससे हमें यह समझ में आता है कि हिमालय क्षेत्र में वन आग की खतरा और भूमिका बहुत महत्वपूर्ण है, जिससे हम बढ़ती दैवी आपदाओं का सामना कर सकें।

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