उत्तराखंड के कुमाऊं के कई इलाकों का बाकी हिस्सों से संपर्क पूरी तरह से कट चुका है. मलबे के कारण जिले के कई रास्ते भी बंद हो गए हैं. लोगों को निकालने के लिए रेस्क्यू ऑपेरशन जारी है. बुधवार को भी नैनीताल के आसपास क्षेत्र में जनजीवन सामान्य नहीं हो सका है.
सड़कों, दुकानों और घरों में पानी भरा हुआ है. भारी बारिश और भूस्खलन के बाद अभी भी कई लोग लापता हैं. राज्य की अधिकतर नदियां उफान पर हैं और हरिद्वार में गंगा का जलस्तर 293.90 मीटर तक पहुंच गया है, जो खतरे के निशान 294 मीटर से मामूली नीचे है. एसईओसी ने बताया कि नैनीताल में 90 मिलीमीटर, हल्द्ववानी में 128 मिमी, कोश्याकुटोली में 86.6 मिमी, अल्मोड़ा में 216.6 मिमी, द्वाराहाट में 184 मिमी और जागेश्वर में 176 मिमी बारिश हुई.
दूसरी ओर बुधवार को राजधानी देहरादून सहित अधिकतर इलाकों में मौसम साफ बना हुआ है. इससे लोगों ने राहत की सांस ली है. मौसम विज्ञान केंद्र के निदेशक बिक्रम सिंह के मुताबिक पश्चिमी विक्षोभ और दक्षिणी पूर्वी हवाओं का असर अब न के बराबर है. उत्तराखंड के मैदानी और पर्वतीय क्षेत्रों में इसका प्रभाव सिर्फ 48 घंटे के लिए ही था.