उत्तराखंड हाइकोर्ट की शिफ्टिंग के मामले में संविदा उत्पन्न हो रही है। मुख्य न्यायाधीश ने गौलापार को इसे अनुचित ठहराते हुए नए स्थान के लिए अधिवक्ताओं से सलाह लेने का निर्देश दिया है। पिछले पांच वर्षों से इस मामले में अधिवक्ताओं के बीच किसी भी सहमति का निर्माण नहीं हो पा रहा है, और उनकी सिफारिशों और दावों में भिन्नताएँ आ रही हैं। इसके साथ ही, सरकारी संस्थाएं भी इस मामले में उलझन में हैं।
जहां कोई एक संस्था प्रस्ताव को अनुचित बताती है, जबकि दूसरी स्वीकार करती है। अंत में केंद्रीय न्याय मंत्रालय की मंजूरी के बावजूद, कुछ संस्थाएं अभी भी मामले में सहमति नहीं दे पा रही हैं। जल्दी में इसके लिए बेल बसानी की भूमि सुझाई गई तो पता चला वहां की भूमि इस लायक है ही नहीं जिस पर कोर्ट बन सके और अब आखिरकार हाइकोर्ट ने स्वयं ही गौलापार को इसके लिए अनुपयुक्त घोषित कर दिया है।
प्रदेश के मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी की सरकार ने 16 नवंबर 2022 को कोर्ट को हल्द्वानी शिफ्ट करने का प्रस्ताव पारित किया। इस प्रस्ताव को केंद्र सरकार ने 24 मार्च 2023 को सैद्धांतिक सहमति देकर समर्थन जताया। केंद्रीय विधि राज्य मंत्री एसपी सिंह बघेल ने उत्तराखंड सरकार से इस कार्य के लिए उपयुक्त जमीन उपलब्ध कराने का कहा। इसमें शर्त रखी गई कि हाईकोर्ट के लिए हल्द्वानी में आवश्यक बुनियादी ढांचा उपलब्ध कराने के बाद ही केंद्र सरकार हाईकोर्ट को शिफ्ट करने की प्रक्रिया शुरू करेगी।
सरकार ने फिर गौलापार की भूमि को उपयुक्त बताया और 12 जनवरी 2024 को धामी सरकार ने विकास के उद्देश्य से गौलापार के आस-पास की भूमि की खरीद-बिक्री पर रोक लगा दी और वहां फ्रीज जोन घोषित कर दिया। इस पर कोई कार्यवाही होने से पहले इसके दो ही दिन बाद हाइकोर्ट ने बुधवार को गौलापार को अनुपयुक्त बताते हुए नए सिरे से स्थान को लेकर सुझाव मांगे हैं।