प्रदेश के पूर्व मुख्यमंत्री हरीश रावत ने एक बार फिर राज्य सरकार पे निशाना साधा है. कहा कि “आज केंद्र में भाजपा, यूपी में भाजपा और उत्तराखंड में भी भाजपा की सरकार है. तीनों जगह भाजपा सरकार होने के बावजूद परिसंपत्तियों का विवाद नहीं निपटा. स्थिति जस की तस बनी है.जबकि हमारे समय में सिंगल इंजन, तीनों जगह अलग-अलग सरकारें, उसके बावजूद हमने नहरों का मामला निपटाया, कुछ जलाशयों का मामला निपटाया, रोडवेज की परिसंपत्तियों का मामला कुछ सीमा तक निपटाया.”
पूर्व मुख्यमंत्री ने आगे कहा कि “हमने जमरानी पर उत्तर प्रदेश सरकार से पब्लिक कमिटमेंट कराया कि हम राष्ट्रीय प्रोजेक्ट के रूप में एक एमओयू साइन करेंगे और उस एमओयू के लिए केवल दो शर्तें रखी गईं कि जितना पानी किच्छा से नीचे उतर प्रदेश के पास है, वो मात्रा बनी रहेगी.
दूसरा एमओयू कि बिजली में उनको कुछ शेयर दिया जाएगा, लेकिन आज जमरानी पर बात आगे नहीं बढ़ रही है, रोडवेज का मामला और उलझ गया है, नहरों और जलाशयों पर उत्तर प्रदेश ने जितना हस्तांतरण कर दिया था परिसंपत्तियों का, उससे आगे बात नहीं बढ़ पाई है. तो तीनों जगह एक ही पार्टी की सरकार होने के बावजूद और उत्तर प्रदेश में उत्तराखंडी व्यक्ति के मुख्यमंत्री होने के बावजूद भी परिसंपत्तियों का निपटारा नहीं हो पाया. अब एक राजनैतिक चर्चा के लिए कि हम भी कुछ कर रहे हैं. उत्तर प्रदेश और उत्तराखंड के मुख्यमंत्री मिल रहे हैं. पूर्व सीएम ने कहा कि अच्छा है दोनों प्रदेशों के मुख्यमंत्री मिलें, लेकिन उत्तराखंड के सीएम खाली हाथ न आएं. यूपी से कुछ लेकर आइए और उसे बताइए.”
बता दें कि हाल ही में मुख्यमंत्री धामी ने सीएम योगी के साथ मुलाकात के बाद दोनों राज्यों के बीच अधिकांश मुद्दों पर सहमति बन गई है. यूपी-उत्तराखंड के बीच करीब 20 हजार करोड़ की परिसंपत्तियों से जुड़े विवाद का निपटारा हो गया है.