आजकल नाबालिग बच्चे बाइक या कार चलाते अक्सर सड़कों पर दिख जाते हैं. इनमें से कई ऐसे होते हैं, जो पैरंट्स की इजाजत से गाड़ी लेकर निकलते हैं, वहीं कुछ ऐसे होते हैं, जो चोरी-छुपे ये हरकत करते हैं. वहीं कहीं कहीं देखने में आता है कि नाबालिग छात्र सड़क पर फर्राटे से वाहन चला रहे हैं. यहां तक कि वो हेलमेट का भी प्रयोग नहीं कर रहे.
ऐसा करके वे सिर्फ खुद को नहीं बल्कि अपने पेरेंट्स को भी मुसीबत में डाल देते हैं.
ऐसे में उत्तराखंड के संभागीय परिवहन अधिकारी (प्रवर्तन) सुनील शर्मा ने इस पर चिंता व्यक्त की है. इसके साथ ही उन्होंने अभिभावकों को चेतावनी भी जारी की है. उन्होंने कहा कि ऐसे मामलों में अभिभावकों को दोषी माना जाएगा या फिर वाहन स्वामी को जिम्मेदार ठहराया जाएगा.
संभागीय परिवहन अधिकारी (प्रवर्तन) ने कहा कि छात्रों के यातायात नियमों के उल्लंघन के मामले में नए मोटर व्हीकल एक्ट और आइपीसी की सुसंगत धाराओं में अभिभावकों को दोषी माना जाएगा. साथ ही इस तरह के मामलों में 25 हजार रुपये के जुर्माने के साथ तीन साल की सजा का प्रावधान है. जुवेनाइल एक्ट के तहत ऐसे मामलों में अभियोग भी चलाया जाएगा. नियमों के मुताबिक अगर नाबालिग बच्चे से कोई दुर्घटना हो जाती है तो बीमा का क्लेम भी नहीं दिया जाएगा. साथ ही वाहन का रजिस्ट्रेशन 12 माह के लिए निरस्त कर दिया जाएगा.
संभागीय परिवहन अधिकारी ने अभिभावकों को सलाह दी है कि नाबालिग बच्चों को दोपहिया वाहन चलाने की अनुमति न दें. साथ ही उन पर कड़ी नजर भी रखें.