उत्‍तराखंड

उत्तराखंड आपदा: तपोवन की टनल में अभी भी 35 लोग फंसे, चमोली में 9 राज्यों के 197 लोग लापता

0
चमोली त्रासदी
चमोली त्रासदी

उत्तराखंड के चमोली जिले की चीन सीमा से लगे रैंणी और तपोवन में बचाव दलों को टनल में भरे मलबे के कारण भारी मुश्किलों का सामना करना पड़ रहा है। बचाव दल सोमवार को दिन भर की मशक्कत के बावजूद तपोवन बिजली परियोजना की टनल-2 में उन 35 लोगों को नहीं निकाल पाए, जो रविवार से वहां फंसे हैं। वहीं राज्य सरकार का कहना है कि, अब तक 20 लोगों के शव बरामद कर लिए गए हैं और 197 लापता लोगों की तलाश की जा रही है।

नौ राज्यों के हैं आपदा में लापता लोग
राज्य आपदा प्रबंधन विभाग के मुताबिक आपदा में जो 197 लोग लापता हैं, वे उत्तराखंड, हिमाचल प्रदेश, यूपी, बिहार, मप्र, पश्चिमी बंगाल, पंजाब, आसाम व उड़ीसा के रहने वाले हैं। यह सभी लोग ऋषि गंगा और तपोवन बिजली परियोजना के मजदूर और कर्मचारी हैं।

बीस में से दो की शिनाख्त
डीजीपी अशोक कुमार ने बताया कि, सोमवार शाम तक जो बीस लोगों के शव बरामद किए गए हैं, उनसमें से दो की शिनाख्त हो चुकी है। इनमें एक देहरादून के डोईवाला और दूसरा स्थानीय गांव तपोवन का है। बाकी शवों की शिनाख्त के प्रयास किए जा रहे हैं।

लापता लोगों का ब्योरा
121 तपोवन एनटीपीसी प्रोजेक्ट
46 ऋषिगंगा प्रोजेक्ट
21 ओम मैटल कंपनी के
05 रैणी गांव के
03 एचसीसी
02 तपोवन गांव
02 करछो गांव
02 रिंगी के

रेस्क्यू अभियान में अब तक 20 लोगों के शव बरामद किए जा चुके हैं। लापता लोगों की तलाश कराई जा रही है। जिला प्रशासन, एसडीआरएफ, पुलिस, आईटीबीपी, सेना, और एनडीआरएफ की टीमें राहत एवं बचाव कार्यों में लगी हैं। अभी भी 35 लोगों के एक टनल में फंसे होने की संभावना है, उन्हें सुरक्षित बाहर निकालने के लिए प्रयास किए जा रहे हैं।
त्रिवेंद्र रावत, मुख्यमंत्री

टनल से मलबा हटाना बना चुनौती
तपोवन। तपोवन जल विद्युत परियोजना की जिस टनल-2 में 35 लोग फंसे हैं, वह 250 मीटर लंबी और नौ मीटर ऊंची है। टनल के सौ मीटर हिस्से में मलबा घुसा है। टनल का इसके आगे का हिस्सा कुछ ऊंचा बताया जा रहा है।

इसलिए अंदर फंसे लोगों के सुरक्षित होने की उम्मीद जताई जा रही है। बचाव दलों के सामने मुश्किल यह है कि, वह टनल के मुहाने से जितना मलबा हटा रहे हैं, उतना ही टनल के अंदर से मुहाने की तरफ आ रहा है। हालांकि, प्रशासन का कहना है कि, बचाव दल टनल के अंदर 100 मीटर तक पहुंच चुके हैं।

बॉर्डर के 13 गांवों में हेलीकॉप्टर से बांट रहे मदद
आपदा के दौरान रैण का मोटर पुल समेत जो झूला पुल बह गए थे, उससे सीमांत के 13 गांवों के लोग अलग थलग पड़ गए। सोमवार को हेलीकॉप्ट की मदद से इन गांवों में राहत और खाद्य सामग्री पहुंचाई गई।

रैंणी में वैली ब्रिज बनाने की तैयारी शुरू
आपदा में रैंणी गांव के पास स्थित जो मोटर पुल बह गया था, वहां बीआरओ वैली ब्रिज बनाने की तैयारी में जुट गया है। बीआरओ के शिवालिक प्रोजेक्ट के चीफ इंजीनियर एएस राठौर ने बताया कि, मौके पर मशीनों की मदद से मलबा हटाने का काम शुरू कर दिया गया है। मौके से 100 मीटर आगे तक कटिंग करके नया लोहे का वैलीब्रिज बनाया जाएगा।

इसरो और अन्य सेटेलाइन की तस्वीरों के आधार पर निष्कर्ष
चमोली जिले में तबाही ऋषिगंगा कैचमेंट एरिया में हुए हिमस्खलन की वजह से मची। भारतीय अंतरिक्ष अनुसंधान संगठन के वैज्ञानिकों ने सेटेलाइट डाटा के आधार पर यह निष्कर्ष निकाला है।

विशेषज्ञों के अनुसार इस क्षेत्र में हाल में गिरी बर्फ एक चोटी के हिस्से के साथ खिसक गई जिसने बड़े हिस्खलन का रूप ले लिया।
इस वजह से लाखों मीट्रिक टन बर्फ और पहाड़ी का हिस्सा भरभराकर नीचे गिर गया, जिसने ऋषिगंगा घाटी में तबाही मचा दी।

मुख्यमंत्री त्रिवेंद्र रावत ने सोमवार को बताया कि ऋषिगंगा में बाढ़ हिमस्खलन से आई। उन्होंने कहा, इसरो के निदेशक ने सेटेलाइज इमेज के आधार पर जानकारी दी है कि ऋषिगंगा कैचमेंट एरिया में रविवार को ग्लेशियर नहीं टूटा। बल्कि हाल में हुई बर्फबारी में जमी कच्ची बर्फ एक पहाड़ी की चोटी के साथ खिसक गई। जिस स्थान पर हिमस्खलन हुआ वहां ग्लेशियर नहीं था।

मुख्यमंत्री की अफसरों के साथ बैठक
मुख्यमंत्री त्रिवेंद्र रावत ने सोमवार को आपदा के कारणों को लेकर अफसरों व विशेषज्ञों के साथ बैठक की। राज्य सरकार की ओर से मामले में इसरो से भी संपर्क किया गया।

अमेरिकी सेटेलाइट का डेटा भी लिया गया
आपदा के कारण जानने के लिए आपदा प्रबंधन विभाग ने अमेरिका की एक प्राइवेट सेटेलाइट प्लेनेट लैब से भी तस्वीरें ली हैं। यूएसडीएमए के विशेषज्ञ गिरीश जोशी ने बताया कि यह सेटेलाइट हाल ही में इस क्षेत्र से गुजरा है और तस्वीरों के आधार पर यह निष्कर्ष निकाला गया है कि इस क्षेत्र में हिमस्खलन से आपदा आई। उन्होंने बताया कि 14 वर्ग किमी क्षेत्र में हिमस्खलन हुआ, जिस वजह से यह भीषण आपदा आई।

NO COMMENTS

LEAVE A REPLY

Please enter your comment!
Please enter your name here

Exit mobile version