इस बात में कोई संदेह नहीं है कि मोबाइल फोन एक उपयोगी उपकरण है। लेकिन काम को आसान बनाने व इस तरह के लाभ प्रदान करने वाली हर तकनीक नकारात्मक प्रभावों के एक समूह के साथ आती है।
हालांकि मोबाइल की लत किशोरों, युवाओं, बच्चों हर वर्ग के लिए हानिकारक हो सकती है। केवल सीमित समय में ही मोबाइल का उपयोग करने से मोबाइल से होने वाली बीमारियों का शिकार होने से बचा जा सकता है। विशेषज्ञों के मुताबिक यह लत बच्चों व किशोरों को मानसिक रूप से भी कमजोर करती है।
बता दे कि नेत्र रोग विशेषज्ञों के मुताबिक मोबाइल फोन के ज्यादा इस्तेमाल से आंखें सीधे प्रभावित होती है। जिससे बच्चों को कम उम्र में नजर कम होना, चश्मा लगना या नंबर बढ़ना, आंखों में जलन, सूखापन एवं थकान इत्यादि की समस्याओं का सामना करना पड़ता है। उन्होंने बताया कि ओपीडी में रोजाना 5 से 7 ऐसे बच्चे होते है जिन्हें कम उम्र में स्मार्टफोन का ज्यादा इस्तेमाल से नेत्र रोग की समस्या हो रही है।
इसी के साथ स्मार्टफोन चलाने के दौरान बच्चे अकसर अपनी पलकें भी नहीं झपकते, जिससे आंख को पूर्ण रूप से आराम नहीं मिल पाता इसे कंप्यूटर विजन सिंड्रोम कहते है।
बता दे कि ऐसे में बच्चे नेत्र रोग का शिकार बन जाते हैं। मोबाइल की लत प्राय हर वर्ग के लिए बेहद हानिकारक है। देखा जाए तो कम उम्र में बच्चों की सबसे ज्यादा मां-बाप के प्यार और देखभाल की जरूरत होती है ऐसे में माता पिता अपने बच्चों के साथ अधिक से अधिक समय बताएं। जिससे बच्चों का ध्यान मोबाइल की तरफ धीरे धीरे कम होता जाएगा।