कृषि कानूनों पर अब सड़क से लेकर संसद तक हंगामा दिख रहा है। कृषि कानूनों के खिलाफ में पिछले दो महीनों से प्रद्रशनकारी किसान दिल्ली की सीमाओं पर डटे हैं। सड़कों पर एक ओर जहां अन्नदाता कानून वापसी की मांग पर अड़े हैं, वहीं संसद में विपक्ष इस मुद्दे पर लगातार सरकार को घेरने की कोशिश कर रहा है, जिसकी वजह से मंगलवार को भी कई बार संसद के दोनों सदनों की कार्यवाही स्थगित करनी पड़ी।
आज यानी बुधवार का दिन किसान आंदोलन के लिए निर्णायक दिन साबित होने वाला है, क्योंकि आज हरियाणा के जिंद में किसानों की महापंचायत है, जहां आगे की रणनीति पर चर्चा होगी।
भारतीय किसान यूनियन (भाकियू) के नेता राकेश टिकैत केंद्र के नए कृषि कानूनों के खिलाफ आंदोलन के समर्थन में बुधवार को हरियाणा के जींद जिले में किसानों की महापंचायत में शामिल होंगे। माना जा रहा है कि किसान आंदोलन को और धार देने के लिए महापंचायत के मंच से राकेश टिकैत हुंकार भरेंगे और आगे की रणनीति का ऐलान करेंगे।
सर्वजातीय कंडेला खाप के प्रमुख टेकराम कंडेला ने बताया कि कार्यक्रम के लिए जींद के कंडेला गांव में पर्याप्त व्यवस्था की गई है। टिकैत के अलावा कई खाप नेता भी इसमें शामिल होंगे। कंडेला ने कहा कि किसानों के आंदोलन का समर्थन करने के लिए यह बड़ा जमावड़ा होगा।
करीब दो दशक पहले हरियाणा में किसानों का आंदोलन चलाने वाली कंडेला खाप ने कृषि कानूनों के खिलाफ किसानों को अपना समर्थन दिया है। दूसरी खाप ने भी आंदोलन का समर्थन किया है। टेकराम कंडेला ने कहा कि बुधवार के कार्यक्रम में कृषि कानूनों को निरस्त करने और न्यूनतम समर्थन मूल्य पर कानूनी गारंटी की मांग की जाएगी।
बहरहाल, हरियाणा के भाकियू नेता गुरनाम सिंह चढूनी हिसार जिले के उकलाना में सूरेवाला चौक पहुंचे और किसानों को संबोधित किया। उन्होंने छह फरवरी को किसान यूनियनों द्वारा आहूत राष्ट्रव्यापी चक्का जाम का समर्थन करने को कहा। चढूनी ने किसानों के आंदोलन के मुख्य स्थलों में से एक गाजीपुर में प्रवेश रोकने के लिए बड़े-बड़े अवरोधक लगाए जाने की आलोचना की।
टिकैत ने कर दिया है इरादा स्पष्ट
कृषि कानूनों पर सरकार से बातचीत के सवाल पर राकेश टिकैत ने स्पष्ट कर दिया है कि जब तक पुलिस-प्रशासन द्वारा उत्पीड़न बंद नहीं होगा और गिरफ्तार किए गए किसानों की रिहायी नहीं होगी, तब तक सरकार से नए कृषि कानूनों पर कोई बातचीत नहीं होगी। इतना ही नहीं, उन्होंने कहा है कि अक्टूबर तक यह आंदोलन चलता रहेगा। अगरर अक्टूबर तक सरकार किसानों की बात नहीं सुनती है तो फिर देशभर में 40 लाख ट्रैक्टरों से किसान ट्रैक्टर रैली निकालेंगे।
बता दें कि दिल्ली की विभिन्न सीमाओं पर पंजाब, हरियाणा, पश्चिमी उत्तर प्रदेश समेत कई अन्य जगहों के किसान कानूनों के विरोध में पिछले दो महीनों से ज्यादा समय से आंदोलन कर रहे हैं। किसानों की मांग इन कानूनों को वापस लेने के अलावा, एमएसपी पर कानून बनाने की है। किसानों का दावा है कि सरकार ने ये कानून चंद उद्योगपतियों की मदद करने के लिए लाई है, जबकि केंद्र कानूनों को कृषि सेक्टर में सुधार लाने के लिए बताती रही है।
संसद में हंगामा
विवादों में घिरे तीन नए कृषि कानूनों को वापस लेने की मांग और दिल्ली की सीमाओं पर चल रहे किसान आंदोलन के मुद्दे पर कांग्रेस और कई अन्य विपक्षी दलों के सदस्यों के भारी हंगामे के कारण मंगलवार को संसद के दोनों सदनों की कार्यवाही बाधित रही। राज्यसभा में विपक्ष के हंगामे के कारण बैठक तीन बार के स्थगन के बाद अंतत: पूरे दिन के लिए स्थगित कर दी गई।
वहीं लोकसभा की बैठक दो बार के स्थगन के बाद दिन भर के लिये स्थगित कर दी गई। लोकसभा में हंगामे के बीच कृषि मंत्री नरेंद्र सिंह तोमर ने कहा कि सरकार किसानों से जुड़े मुद्दों पर संसद के अंदर और बाहर चर्चा करने को तैयार है। उच्च सदन में विपक्षी सदस्यों ने दिल्ली की सीमाओं पर चल रहे किसान आंदोलन के मुद्दे पर सदन में तुरंत चर्चा कराने की मांग करते हुए हंगामा किया ।