उत्तराखंड में एक बार फिर भारी तबाही देखने को मिल रही है। चमोली जिले में ग्लेशियर टूटने से अलकंदा और धोलीगंगा नदी उफान पर चढ़ गई हैं। जिसके चलते आस-पास के इलाकों को खाली कराया जा रहा है और लोगों से सुरक्षित स्थानों पर चले जाने की अपील की जा रही है।
आईटीबीपी के जवान बचाव कार्य के लिए पहुंचे हैं और सीएम त्रिवेंद्र सिंह रावत भी घटनास्थल के लिए रवाना हो गए हैं। इस तबाही में सैंकड़ों लोगों के बह जाने की आशंका जताई जा रही है। ये पहली बार नहीं है जब देव भूमि उत्तराखंड ऐसी आपदा का साक्षी बन रहा है। इससे पहले साल 2013 में हुई तबाही ने भारत ही नहीं बल्कि पूरी दुनिया हो हिला कर रख दिया था।
साल 2013 में हुई केदारनाथ की आपदा में कई हजार जानें चली गई थीं। लोगों को अपने परिवार वालों के शव तक नसीब नहीं हो पाए थे। दुनिया के कई बड़े अखबारों ने इसे पूरी दुनिया में हुई सबसे बड़ी आपदाओं में से एक माना था।
2013 का दिल दहला देने वाला मंजर
साल 2013 के जून के महीने में आई आपदा को शायद ही कोई भूल पाया होगा कि उत्तराखंड में एक और तबाही ने हडकंप मचा दिया। एक बार फिर कुदरत की विनाशकारी लीला उत्तराखंड में देखने को मिली है। चमोली के जोशीमठ में ग्लेशियरे टूटने से धौलीगंगा नदी मे बाढ़ आ गई है।
आस-पास के इलाकों में पानी भऱने की आशंका है। बचाव कार्य जारी है। इससे पहले ऐसी ही मिलती जुलती तस्वीर साल 2013 में देखने को ंमिली थी जब केदारनाथ में कुदरत ने अपना कहर बरसाया था।
रुद्रप्रयाग से लेकर केदारनाथ तक ऐसी तबाही फैली थी कि देखने वालों की रूह भी कांप गई थी। 16 व 17 जून को आई इस आपदा में कई लोगों की जान चली गई। कई परिवारों को उनके चहितों के शव देखने भी नसीब नहीं हुए थे। पूरे देश से लोग अपने करीबियों को देखने के लिए देव भूमि उत्तराखंड पहुंचे थे लेकिन सड़के बंद होने के कारण उन्हें निराश ही लौटना पड़ा था।