आज भारतीय वायुसेना दिवस (इंडियन एयर फोर्स डे) है. वायु सेना आज 90 साल की हो गई है. 16 साल में पहली बार दिल्ली से बाहर चंडीगढ़ में एयरफोर्स की परेड और फ्लाईपास्ट का आयोजन हो रहा है. चंडीगढ़ की सुखना लेक पर एयर शो का आयोजन होगा. इसमें करीब 80 मिलिट्री एयरक्राफ्ट और हेलिकॉप्टर हिस्सा लेंगे.
औपचारिक तौर पर 8 अक्टूबर 1932 को अपने ऑपरेशंस शुरू करने वाली इंडियन एयरफोर्स आज अपना 90वां स्थापना दिवस मना रही है. इंडियन एयरफोर्स चंडीगढ़ में करीब 80 विमानों के साथ एक अद्भुत प्रदर्शन करेगी. अधिकारियों ने बताया कि इसमें हल्के लड़ाकू विमान तेजस, सुखोई, मिग-29, जगुआर, राफेल, आईएल-76 और सी-130जे समेत कई अन्य विमान फ्लाई पास्ट में हिस्सा लेंगे.
अभी तक वायुसेना दिवस की परेड और फ्लाई-पास्ट राजधानी दिल्ली से सटे हिंडन एयर बेस पर होती आई थी, लेकिन इस साल से फ्लाई पास्ट एयर बेस से बाहर करने का फैसला लिया गया है.
इस बार ये फ्लाई पास्ट चंड़ीगढ़ की सुखना लेक पर आयोजित हो रहा है. चंड़ीगढ़ की सुप्रसिद्ध सुखना लेक के आसमान में वायुसेना की ताकत का नजारा सामने आएगा, जिसकी गड़गड़हाट चीन से लेकर पाकिस्तान तक की सीमाओं तक सुनाई पडे़गी.
दोपहर बाद एयर शो होगा. इस दौरान देश की राष्ट्रपति द्रौपदी मुर्मू और रक्षा मंत्री राजनाथ सिंह भी मौजूद रहेंगे. सुखना लेक पर चीफ गेस्ट के आने से पहले यानी 2.45 से 3.20 तक भी दर्शकों के लिए तीन एडवेंचर डिस्पिले का आयोजन किया गया है.
इसमें बाम्बी-बकट एक्टिविटी दिखाई जाएगी. इसका मतलब यह है कि अगर किसी जंगल में आग लग जाती है तो वायुसेना के हेलीकॉप्टर किस तरह झील से पानी लेकर जंगल की आग बुझाते हैं वो दिखाया जाएगा. वायुसेना के दो मी-17 और एक चिनूक हेलीकॉप्टर सुखना लेक के बाएं से दाएं तरफ उड़ान भरेंगे, जिसके बाद फ्लाई पास्ट की विधिवत शुरुआत हो जाएगी.
3 अक्टूबर को ही वायुसेना में शामिल हुए स्वदेशी कॉम्बेट हेलीकॉप्टर, एलसीएच-प्रचंड पहली बार वायुसेना दिवस के समारोह में हिस्सा लेंगे. चार प्रचंड धनुष फोर्मेशन में उड़ान भरेंगे. प्रचंड के बाद एक एलसीए तेजस लड़ाकू विमान फ्लाई पास्ट में हिस्सा लेगा. एलसीए के बाद एक विंटेज एयरक्राफ्ट हार्वर्ड आसमान में दिखाई पड़ेगा.
इसके बाद एक के पीछे एक चिनूक और मी-17वी5 आएंगे. ऐरोहेड फोर्मेशन–दो अपाचे, दो एएलएच-मार्क4 और मी-35 हेलीकॉप्टर एकलव्य कॉलसाइन के साथ फोर्मेशन में आएंगे. ऐरोहेड फोर्मेशन के बाद एक विंटेज डकोटा एयरक्राफ्ट आसमान में उड़ान भरेगा.
डकोटा के बाद वायुसेना के हैवीलिफ्ट ट्रांसपोर्ट एयरक्राफ्ट विक्टरी फोर्मेशन में बिग-बॉय कॉल साइन के साथ सुखना लेक के आसमान में दिखाई पड़ेंगे. इनमें दो एएन-32 और एक-एक आईएल 76 और सी-130 शामिल होंगे.
साल 1932 में भारतीय वायुसेना की स्थापना की गई, कई युद्ध में निभाई महत्वपूर्ण भूमिका-:
बता दें कि भारतीय वायु सेना की स्थापना 1932 में हुई थी. उस वक्त देश में अंग्रेजों की हुकूमत थी. उस दौरान भारतीय वायु सेना को रॉयल इंडियन एयर फोर्स के नाम से जाना जाता था. हालांकि, जब देश आजाद हुआ तो रॉयल शब्द हटा दिया गया. जिसके बाद इसे भारतीय एयर फोर्स के नाम से जाना गया.
इसलिए 8 अक्टूबर के दिन वायु सेना दिवस मनाया जाता है. वायुसेना का पहला ऑपरेशनल स्क्वाड्रन अप्रैल 1933 में स्थापित किया गया था. द्वितीय विश्वयुद्ध में हिस्सा लेने के बाद वायुसेना के लिए चीजें बदलने लगीं. युद्ध के दौरान इसने जबरदस्त प्रदर्शन किया और फिर इसे रॉयल उपसर्ग दिया गया.
लेकिन जब 1950 में भारत एक गणतंत्र बना, तो उपसर्ग रॉयल को हटा दिया गया. इस तरह से वायुसेना को भारतीय वायुसेना या इंडियन एयरफोर्स से जाना जाता है.बता दें कि भारतीय एयरफोर्स दुनिया की चौथी सबसे बड़ी वायुसेना है. उत्तर प्रदेश के गाजियाबाद में स्थित हिंडन वायु सेना स्टेशन एशिया में सबसे बड़ा है.
कई युद्ध में दमखम दिखा चुकी है वायु सेना भारतीय वायु सेना अपनी स्थापना के बाद से अब तक कई युद्धों में शामिल हो चुकी है. भारतीय वायु सेना ने पाकिस्तान के खिलाफ चार बार युद्ध में हिस्सा लिया है. पहली बार वायु सेना ने 1948, उसके बाद 1965 और 1971 व 1999 में युद्ध में हिस्सा लिया.
इसके अलावा, वायु सेना 1962 में चीन के सामने अपना दम दिखा चुकी है. चीफ ऑफ एयर स्टाफ के पास होती है अहम जिम्मेदारी . भारतीय वायुसेना का प्रमुख अधिकारी चीफ ऑफ एयर स्टाफ कहलाता है और इसका पद चीफ एयर मार्शल का होता है.
वायुसेना का मुख्यालय दिल्ली में स्थित है. चीफ ऑफ एयर स्टाफ की सहायता के लिए एयर मार्शल तथा वाइस एयर मार्शल, या एयर कमोडोर पद के मुख्य चार स्टाफ अफसर होते हैं. ये वायुसेना की प्रमुख शाखाओं पर नियंत्रण रखते हैं.