मई महीने में बहुत से अशुभ योग बन रहे हैं। इस अशुभता का प्रमाण शास्त्रीय वाक्य भी बता रहे हैं। ’यत्र मासे महीसूनोर्जायन्ते पंचवासरा:रक्तेन पूरिता पृथ्वी,छत्रभंगस्तदा भवेत्’ अर्थात जिस मास में पांच मंगल एवं पांच बुधवार होते हैं उस मास भारी रक्तपात और अराजकता का बोलबाला होता है।
जन-धन की बहुत हानि होती है और किसी प्रदेश की सरकार का छत्र भंग हो सकता है। इस वैशाख के महीने में अर्थात 28 अप्रैल से 26 मई तक पांच मंगलवार और पांच बुधवार आएंगे। शास्त्रों के अनुसार ऐसी स्थिति में उस मास में किसी प्रदेश सरकार का छत्र भंग हो सकता है या राज्य सरकार भंग हो सकती है। गृह युद्ध जैसे आसार बन सकते हैं।
’नोत्पात परित्यक्त:चन्द्रजो व्रजत्युदयम्। जलदहनं,पवनभयं कृद्धान्यर्घ क्षय विवृद्धयैवा।।’ अर्थात ग्रह नक्षत्र राशि जब ये चारों बुध उदय के प्रभाव में हो तो आंधी, तूफान, बवंडर, चक्रवात, ओलावृष्टि एवं भूकंप सहित अनेक प्राकृतिक आपदाओं के योग बनते हैं। भारी जनधन की हानि होती है। बुध का उदय भी 30 तारीख को हुआ था जो 26 मई तक रहेगा। यह समय भी प्राकृतिक दृष्टि से शुभ नहीं है।
’एक राशौ यदा यान्ति चत्वार: पंच खेचरा:। प्लावयन्ति मही सर्वा रूधिरेण जलेन वा।।’ अर्थात जब एक ही राशि पर चार या पांच ग्रह का योग बनता है तब सारी पृथ्वी पर जल प्लावन या रक्त पूरित धरा का योग बनता है। 14 मई को वृष राशि में बुध ,शुक्र, राहु और सूर्य चारों ग्रह आ जाएंगे और सप्तम भाव से केतु की दृष्टि से पंच ग्रही योग बनेगा। इससे धरती पर उपद्रव, अराजकता, खून खराबा, बीमारी और अतिवृष्टि के योग बनते हैं।