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कोरोना से जंग लड़ने को पीएम मोदी के इन प्रस्तावों का पाकिस्तान भी हो गया कायल, सबके सामने किया समर्थन

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कोविड-19 मैनेजमेंट को लेकर प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने पड़ोसी देशों के साथ वर्चुअल मीटिंग में गुरुवार को ऐसे प्रस्ताव दिए, जिसका हर मुद्दे पर भारत का विरोध करने वाला पाकिस्तान भी कायल हो गया। भारत समेत पड़ोसी देशों को कोविड-19 मुक्त क्षेत्र बनाने के लिए प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने पांच प्रस्ताव दिए, जिसका पाकिस्तान ने भी समर्थन किया। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने पड़ोसी देशों से डॉक्टर और नर्सों के लिए आपात स्थिति में एक दूसरे के देश मे जाने के लिए स्पेशल वीजा स्कीम बनाने पर विचार करने को कहा है। इसके अलावा उन्होंने सभी देशों के नागर विमानन मंत्रालयों से एयर एम्बुलेंस समझौते पर भी विचार करने की अपील की है।

कोरोना पर सार्क देशों की वर्कशॉप का एजेंडा तय करते हुए पीएम मोदी ने कहा कि इस स्पेशल वीजा स्कीम के तहत आपातकालीन स्थिति में वीजा की मदद से डॉक्टर-नर्स पड़ोसी देश में जाकर सेवा दे सकेंगे। प्रधानमंत्री ने आपसी सहयोग को कोविड के खात्मे के साथ भावी सहयोग के लिए महत्वपूर्ण बताया है। पड़ोसी देशों के साथ गुरुवार को वीडियो कॉन्फ्रेंसिंग के जरिए कोविड-19 मैनेजमेंट की वर्कशॉप को संबोधित करते हुए पीएम मोदी ने पड़ोसी देशों के साथ कोविड-19 से लड़ने की तैयारी को लेकर चर्चा की। पीएम मोदी ने कोविड-19, कोरोना वैक्सीन और जनसंख्या आदि से जुड़े डेटा को लेकर एक रीजनल प्लेटफॉर्म बनाने की भी बात कही है। इस प्लेटफॉर्म के जरिए सभी देश अपना डाटा जमा करेंगे और इसके प्रभाव को लेकर अध्ययन किया जाएगा।

पीएम मोदी ने सदस्य देशों के नागरिक उड्डयन मंत्रालयों से चिकित्सा आकस्मिकताओं के लिए क्षेत्रीय एयर एम्बुलेंस समझौते का समन्वय करने की भी सिफारिश की। इसके अलावा, उन्होंने यह भी सुझाव दिया कि हम अपनी आबादी के बीच कोरोना टीकों की प्रभावशीलता के बारे में डेटा के मिलान, संकलन और अध्ययन के लिए एक क्षेत्रीय मंच बना सकते हैं। उन्होंने भविष्य में महामारी को रोकने के लिए प्रौद्योगिकी संचालित महामारी विज्ञान को बढ़ावा देने के लिए एक क्षेत्रीय नेटवर्क बनाने का भी सुझाव दिया। अंत में उन्होंने प्रस्ताव रखा कि सार्क सदस्यों को कोविड-19 से आगे जाकर अपनी सफल जन स्वास्थ्य नीतियों और योजनाओं को एक-दूसरे के साथ साझा करना चाहिए।

आधिकारिक सूत्रों ने बताया कि पाकिस्तान समेत सभी सार्क देशों ने पीएम मोदी के प्रस्तावों का समर्थन किया और उन्हें आगे ले जाने के उनके प्रस्तावों पर क्षेत्रीय सहयोग के लिए सुनियोजित चर्चा करने की पेशकश की। सभी इस बात पर सहमत थे कि महामारी से लड़ने के लिए क्षेत्रीय आधार पर इस तरह के सहयोग की जरूरत है। साथ ही पाकिस्तान को छोड़कर (जिसे टीके नहीं मिले हैं), सभी देशों ने भारत और प्रधानमंत्री को कोविड-19 वैक्सीन आपूर्ति के लिए धन्यवाद दिया।

‘कोविड-19 प्रबंधन: अनुभव, अच्छी कार्यप्रणाली और भावी राह’ पर विस्तारित पड़ोसियों सहित 10 पड़ोसी देशों के साथ आयोजित एक कार्यशाला को संबोधित करते हुए प्रधानमंत्री मोदी ने कहा कि सहयोग की भावना इस महामारी की महत्वपूर्ण सीख है। इस सम्मेलन में अफगानिस्तान, बांग्लादेश, भूटान, मालद्वीप, मॉरीशस, नेपाल, पाकिस्तान, सेशल्स और श्रीलंका के स्वास्थ्य क्षेत्र की हस्तियों, विशेषज्ञों और अधिकारियों ने भाग लिया। कार्यशाला में भारत के अधिकारी और विशेषज्ञ भी शामिल हुए।

प्रधानमंत्री ने कहा, ’21वीं सदी को एशिया की सदी बनना है तो यह दक्षिण एशिया तथा हिंद महासागर के द्वीपियों देशों के बीच सहयोग और एकीकरण के बिना नहीं हो सकता। आपने महामारी के दौरान क्षेत्रीय एकता की जो भावना दिखायी है उससे यह साबित हो गया है कि एकीकरण संभव है।’ मोदी ने कहा कि खुलेपन और दृढ़ता की वजह से यह क्षेत्र पूरे विश्व में सबसे कम मृत्यु दर बनाए रखने में सफल हुआ। पीएम मोदी ने सदस्य देशों के नागरिक उड्डयन मंत्रालयों से चिकित्सा आकस्मिकताओं के लिए क्षेत्रीय एयर एम्बुलेंस समझौते का समन्वय करने की भी सिफारिश की।

इसके अलावा, उन्होंने यह भी सुझाव दिया कि हम अपनी आबादी के बीच कोरोना टीकों की प्रभावशीलता के बारे में डेटा के मिलान, संकलन और अध्ययन के लिए एक क्षेत्रीय मंच बना सकते हैं। उन्होंने भविष्य में महामारी को रोकने के लिए प्रौद्योगिकी संचालित महामारी विज्ञान को बढ़ावा देने के लिए एक क्षेत्रीय नेटवर्क बनाने का भी सुझाव दिया। अंत में उन्होंने प्रस्ताव रखा कि सार्क सदस्यों को कोविड-19 से आगे जाकर अपनी सफल जन स्वास्थ्य नीतियों और योजनाओं को एक-दूसरे के साथ साझा करना चाहिए।

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