एक नज़र इधर भी

गुड फ्राइडे पर प्रभु यीशु की मानव सेवा के लिए किए गए त्याग-बलिदान को दुनिया याद करती है

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आज बात करेंगे प्रभु ईसा मसीह के उस त्याग, तपस्या और बलिदान की । मानव समाज की सेवा करने के लिए जिन्होंने अपना संपूर्ण जीवन लोगों के कल्याण के लिए समर्पित कर दिया था। अपने आखिरी समय मेंं भी प्रभु यीशुु लोगों को सही मार्ग पर चलने के लिए प्रेरित करते रहे । आज गुड फ्राइडे है । सुनने में तो यह शब्द है ऐसे लगता है जैसे कि किसी शुभ कार्य के लिए परिचायक है ।

लेकिन ऐसा नहीं है। भारत के साथ दुनिया भर के ईसाई धर्म से जुड़े लोग गुड फ्राइडे पर दुखी नजर आते हैं । इसी दिन प्रभु यीशु को सूली पर लटकाया गया था। क्रिश्चियन समाज इस दिन को शोक दिवस के रूप में मनाते हैं। इस दिन लोग चर्च जाकर भगवान यीशु को याद करते हैं। कहा जाता है कि ईसा मसीह ने शुक्रवार के दिन ही अपना शरीर त्यागा था।

गुड फ्राइडे को होली फ्राइडे, ब्लैक फ्राइडे या ग्रेट फ्राइडे भी कहते हैं। इस पर्व को प्रभु यीशु के बलिदान के तौर पर भी याद किया जाता है। चर्च में विशेष प्रार्थना सभाएं आयोजित की जाती हैं। इस दिन लोग उपवास रखते हैं और विशेष प्रार्थना की जाती हैं।

क्योंकि ये पर्व शोक दिवस के रूप में मनाया जाता है इसलिए इस दिन गिरजाघरों में घंटा न बजाकर लकड़ी के खटखटे बजाए जाते हैं। ईसाई धर्म के लोग इसे बहुत ही पवित्र समय मानते हैं। चर्च में उनके जीवन के आखिरी पलों को दोहराया जाता है और लोगों की सेवा की जाती है।

यह वह दिन है जब ईसाई धर्म के लोग यीशु मसीह के क्रूस को याद करते हैं। यहां हम आपको बता दें कि गुड फ्राइडे के तीसरे दिन यानी रविवार के दिन प्रभु यीशु दोबारा जीवित हो गए थे और 40 दिन तक लोगों के बीच जाकर उपदेश देते रहे ।

प्रभु यीशु के दोबारा जीवित होने की इस घटना को ईस्टर संडे के रूप में मनाया जाता है। इस बार ईस्टर संडे 4 अप्रैल को मनाया जाएगा। इस दिन प्रात:काल प्रार्थना की जाती है। क्योंकि इसी समय प्रभु यीशु का पुनरुत्थान हुआ था । ईसाई धर्म ईस्टर संडे को उल्लास के साथ मनाते हैं ।

जीवन के आखिरी सांस तक प्रभु यीशु लोगों की भलाई के लिए ही समर्पित रहे—-

बता दें कि लगभग दो हजार वर्ष के बाद भी आज ईसाई धर्म के लोग प्रभु यीशु को दी गईं शारीरिक यातनाओं को भुला नहीं पाए हैं। यह उस समय की बात है जब विश्व अंधविश्वास में जकड़ा हुआ था। प्रभु ईसा मसीह ने जन्म लेकर लोगों को अंधकार से उजाले की ओर ले जाने की ठान ली।

यरुशलम के गैलिली प्रांत में ईसा मसीह, लोगों को मानवता, एकता और अहिंसा का उपदेश देकर अच्छाई की राह पर चलने के लिए प्रेरित कर रहे थे। लोग उन्हें भगवान मानने लगे थे और उनके दिखाए रास्ते पर चल रहे थे। उनके उपदेशों से प्रभावित होकर लोग अहिंसा और शांति की राह पर चलने लगे ।

प्रभु ईसा मसीह की बढ़ती हुई लोकप्रियता देखकर अंधविश्वास को बढ़ावा देने वाले लोग चिढ़ने लगे। पाखंडियों ने ईसा की झूठी शिकायत रोम के शासक पिलातुस से कर दी थी। जिसके बाद यीशु पर धर्म की अवमानना के साथ राजद्रोह का आरोप लगाया गया और ईसा मसीह को क्रूज पर मत्यु दंड देने का फरमान जारी कर दिया गया।

मृत्यु दंड देने से पहले ईसा को तमाम तरह की शारीरिक यातनाएं दी गईं। उनके ऊपर कोड़ें-चाबुक बरसाए गए, उन्हें कांटों का ताज पहनाने के बाद उनके हाथों में कीले ठोकते हुए उन्हें गुड फ्राइडे के दिन सूली पर लटका दिया गया।

अपने आखिरी समय तक भी वे उन लोगों को क्षमा करने के लिए कहते रहे जिन्होंने उन्हें इतनी यातनाएं दी थी । प्रभु यीशु ने उन पाखंडियों के बारे में कहा था ‘है ईश्वर इन्हें क्षमा कर दो, यह नहीं जानते हैं कि ये क्या कर रहे हैं ।

कहा जाता है कि इसके तीन दिन बाद प्रभु जीसस जीवित हो उठे थे। दुनिया भर के ईसाई समुदाय के लोग गुड फ्राइडे पर मानव सेवा के लिए समर्पित रहते हैं । और अपने प्रभु के बताए गए मार्ग को याद करते हैं।

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