एक नज़र इधर भी

देश की अर्थव्यवस्था के साथ रोमांच और अपनी लहरों से भी आकर्षित करता रहा है समुद्र

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आज 5 अप्रैल है । इस तारीख को पूरे देश भर में एक ऐसा दिवस मनाया जाता है जिसका जेहन में नाम आते ही रोमांच और उसकी गहराइयों के साथ उसकी लहरों में समा जाने के लिए मन मचल उठता है । इसके अलावा यह दुनियाभर में करोड़ों लोगों की जीविका का एकमात्र साधन भी यही है । लेकिन यह समय-समय पर अपना ‘रौद्र रूप’ भी दिखाता है । जी हां, हम बात कर रहे हैं समुद्र की।

आज पूरे देश में ‘राष्ट्रीय समुद्र दिवस’ (नेशनल मैरीटाइम डेे) मनाया जा रहा है । बात को आगेे बढ़ाने से पहले यह भी जान लेते हैं कि भारत में राष्ट्रीय समुद्र दिवस यानि ‘नेशनल मैरीटाइम डे’ कब मनाया जाता है । वर्ल्ड मैरिटाइम डे और नेशनल मैरीटाइम डे दोनों अलग-अलग दिन मनाए जाते हैं ।

वर्ल्ड मैरिटाइम डे जहां सितंबर माह के अंतिम गुरुवार को मनाया जाता है, वहीं भारत में राष्ट्रीय समुद्री दिवस हर साल 5 अप्रैल को मनाया जाता है। अब चर्चा को आगे बढ़ाते हैं । राष्ट्रीय समुद्री दिवस मनाने का मुख्य उद्देश्य सुरक्षित और पर्यावरण की दृष्टि से अंतर-महाद्वीपीय वाणिज्य और वैश्विक अर्थव्यवस्था का समर्थन करने के लिए जागरूकता पैदा करना होता है ।

यह दिन देश के समुद्री क्षेत्र की रक्षा और संरक्षण पर केंद्रित है। हमारे देश में भी महाराष्ट्र, तमिलनाडु, गोवा, आंध्र प्रदेश, केरल, पुडुचेरी और गुजरात आदि में समुद्र इन राज्यों की खूबसूरती बढ़ाता है साथ ही व्यापार का भी बड़ा माध्यम है ।

इन राज्यों में लोगों ने समुद्र के किनारे अपनी दुकानें खोल रखी है । गोवा और लक्ष्यदीप के समुद्री बीच भारत ही नहीं दुनियाभर के सैलानियों के पसंदीदा पर्यटन स्थल भी रहे हैं । भारत के कई राज्यों में समुद्र नहीं है ऐसे में यहां के लोगों के लिए यह हमेशा से ही अखरता रहा है ।

समुद्र के किनारे उफनती लहरों और डूबते हुए सूरज को देखने का अलग ही दृश्य रहता है । लेकिन यह भी सच है समुद्र देश और दुनिया को जितना लुभाता रहा है उतना ही समय-समय पर अपने तूफानों और उठती लहरों से लोगों को डराता भी रहा है । यह सागर ऐसा ही है जिसमें सबकुछ समा जाता है ।

समुद्री मार्ग देश और दुनिया के लिए व्यापारिक दृष्टि से सबसे प्राचीन काल से ही मजबूत आधार माना जाता है । कई देशों की अर्थव्यवस्था भी समुद्र पर पूरी तरह निर्भर है । सही मायने में इन देशों की रीढ़ है समुद्र ‌। अब इसका इतिहास जान लेते हैं ।

कहा जाता है कि तीसरी सहस्राब्दी ईसा पूर्व में, सिंधु घाटी के लोगों ने मेसोपोटामिया के साथ अपने समुद्री व्यापार की शुरुआत की थी। वहीं दूसरी ओर भारत में समुद्री नौवहन का इतिहास बहुत पुराना है। पुरातन काल से ही दक्षिण भारत के पूर्वी एशिया और पश्चिम में अरब संसार के साथ नौवहन संबंध रहा करते थे।

आजादी से पहले अंग्रेजों ने भारत में समुद्री रास्तों से व्यापार को दिया था बढ़ावा—

हमारे देश में समुद्री व्यापार और नौसेना का महत्व अंग्रेजों के जमाने में बढ़ा था जो समुद्र के रास्ते ही भारत आए उस समय दुनिया भर में समुद्री रास्तों पर वर्चस्व की लड़ाई हो रही थी। वर्ष 1919 में 5 अप्रैल को सिंधिया स्टीम नेवीगेशन के प्रथम जहाज को ब्रिटिश नागरिक एमएस लोयेस्टी ने मुंबई से लंदन के लिए रवाना किया और तभी से भारतीय समुद्र के विकास का युग शुरू हुआ था।

धीरे धीरे समुद्री व्यापार और नौवहन का महत्व बढ़ा और राष्ट्रीय समुद्री दिवस सबसे पहले 5 अप्रैल 1964 को मनाया गया । अंग्रेजों ने भारत में द रॉयल इंडियन मरीन की स्थापना की। 1934 में इसका नाम रॉयल इंडियन नेवी रखा गया, लेकिन उसका सही उपयोग द्वितीय विश्व युद्ध के दौरान हुआ। आजादी के बाद रॉयल इंडियन नेवी का बंटवारा हो गया। 1950 में इसका नाम भारतीय नौसेना हो गया।

भारत में 90 प्रतिशत तक व्यापार समुद्री मार्ग से ही होता है। भारतीय पोत और जहाजों की देश की अर्थव्यवस्था में बड़ी भूमिका है । इसके अलावा समुद्र आज देश के कई राज्यों में मछुआरों की कमाई का मुख्य साधन भी है । महाराष्ट्र, गोवा, लक्षदीप, केरल, पुडुचेरी आंध्र प्रदेश आदि में मछुआरे हर रोज मछली पकड़ने के लिए यहां अपनी नौकाओं से जाल बिछाते हुए दिख जाएंगे ।

हम आपको एक और जानकारी कि राष्ट्रीय समुद्री दिवस’ पांच महासागरों में व्यापार की सुविधा के माध्यम से समुद्री अर्थव्यवस्था का राष्ट्रीय अर्थव्यवस्था में योगदान दर्शाता है। लेकिन पिछले कुछ समय से समुद्री रास्तों पर आवाजाही बढ़ने से जाम के हालात भी बनने लगे हैं ।

गौरतलब है कि भारत सरकार के वैज्ञानिक एवं औद्योगिक अनुसंधान परिषद की एक प्रयोगशाला भी बनवाई गई है जिसके मुख्यालय को गोवा में स्थित किया गया हैं । सभी का मुख्य उदेश्य उत्तरी हिन्द महासागर के विशिष्ट समुद्र वैज्ञानिक पहलुओं का बारीकी से अध्ययन करना हैं।

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