पूरे देश भर में कोरोना महामारी के बाद भी लोगों ने होली पर जमकर मस्ती की । इसके बावजूद अगर लोगों को लग रहा है कि यह रंगों का त्योहार जल्दी बीत गया तो उनके लिए खुशखबरी है । यानी एक बार फिर रंगों में सराबोर होने की । बहुत से ऐसे लोग होंगे जो किसी कारणवश होली के उल्लास में शामिल नहीं हो सके तो एक बार फिर तैयार हो जाइए रंग में रंगने के लिए । हम बात कर रहे हैं रंग पंचमी की ।
होली के पांच दिन बाद मनाया जाने वाला यह त्योहार अबीर गुलाल के साथ मनाया जाता है । इस दिन भी बिल्कुल होली जैसा ही नजारा रहता है । यानी सभी लोग अबीर गुलाल के रंग में रंगे हुए नजर आते हैं । बता दें कि रंगपंचमी होली के त्योहार के पांच दिन बाद चैत्र माह की कृष्ण पंचमी के दिन मनाई जाती है। इस बार रंगपंचमी 2 अप्रैल को शुक्रवार के दिन मनाई जाएगी।
रंगपंचमी का त्योहार देवी-देवताओं को समर्पित माना जाता है। माना जाता है कि रंग बिरंगे गुलाल की खूबसूरती देखकर देवता प्रसन्न होते हैं और इससे वातावरण में सकारात्मक ऊर्जा प्रवाहित होती है। मान्यता है कि राधारानी के बरसाने में इस दिन उनके मंदिर में विशेष पूजा करने से लाभ होता है। ये भी कहा जाता है कि इस दिन श्रीकृष्ण ने गोपियों संग रासलीला की थी और दूसरे दिन रंग खेलने का उत्सव मनाया था।
इसमें राधा-कृष्ण को भी अबीर और गुलाल चढ़ाया जाता है। यही कारण है कि त्योहार को रंगपंचमी का नाम दिया गया है। रंगपंचमी का त्योहार प्राचीन काल से ही मनाया जाता है। शास्त्रों के अनुसार इस त्योहार को अनिष्टकारी शक्तियों से विजय पाने का दिन कहा जाता है। इसका सामाजिक महत्व भी माना जाता है। दरअसल इस दिन को लेकर ये मान्यता है कि रंगों के गुलाल से वातावरण में ऐसी स्थिति व्याप्त होती है जिससे तमोगुण और रजोगुण का नाश होता है।
महाराष्ट्र, मध्य प्रदेश समेत कई राज्यों में रंगपंचमी धूमधाम के साथ मनाई जाती है
महाराष्ट्र में इस त्योहार की सबसे ज्यादा धूम देखने को मिलती है। यहां पर लोग एक दूसरे पर गुलाल उड़ाते हैं। इस दिन घरों में तरह-तरह के पकवान बनाएं जाते हैं और मित्र एवं रिश्तेदारों को आमंत्रित किया जाता है। लोग नृत्य, संगीत का आनंद लेेते हुए रंगपंचमी का उत्सव मनाते हैं। इसके साथ ही गुजरात, मध्य प्रदेश छत्तीसगढ़ राजस्थान उत्तराखंड समेत कई राज्यों में भी इस त्योहार की छटा देखने को मिलती है ।
मध्यप्रदेश के इंदौर शहर की रंगपंचमी देशभर में प्रसिद्ध है। इस दिन यहां बहुत बड़ा जुलूस निकलता है। जिसमें लाखों की तादाद में लोग शामिल होते हैं। इस दौरान रामरज गुलाल आसमान में उड़ाया जाता है। शहर भर में ज्यादातर जगहों पर अवकाश रहता है। इसके अलावा देश के कई शहरों में इस दिन शोभायात्रा भी निकाली जाती है । जिसमें लोग एक-दूसरे पर अबीर-गुलाल डालते हैं और हवा में उड़ाते हैं।
हालांकि इसका असर पूरे देश भर में दिखाई देता है। इस पर्व का इतिहास काफी पुराना है। कहा जाता है कि प्राचीन समय में होली का उत्सव कई दिनों तक मनाया जाता था। जिसकी समाप्ति रंगपंचमी के दिन होती थी और उसके बाद रंग नहीं खेला जाता था। वास्तव में यह त्योहार होली का ही एक रूप है ।
जो चैत्र मास की कृष्ण पंचमी के दिन मनाया जाता है। इस पर्व को लेकर मान्यता है कि इस दिन रंगों के जरिए भगवान अपने भक्तों को आशीर्वाद देते हैं, इस दिन ब्रह्मांड में कई सकारात्मक तंरगों का संयोग बनता है जिससे रंग हवा में उछालने से रंग कणों में संबंधित देवताओं के स्पर्श की अनुभूति होती है।