पुलिस की जिद, नशेड़ियों की सनक और स्टाफ की चूक। नशेड़ियों के भागने के यही तीन कारण रहे। केंद्र के डायरेक्टर का आरोप है कि पुलिस ने दमुवाढूंगा क्षेत्र के एक नशेड़ी को जिद कर यहां रखवा दिया। उसी ने माहौल को खराब किया, क्योंकि उसके विरुद्ध कई गंभीर धाराओं में मामले चल रहे हैं। इसी तरह वारदात को अंजाम देना नशेड़ियों की सनक है।
नशा नहीं मिलने पर वह तिलमिला रहे थे। इधर, स्टाफ कम होने पर कर्मचारी का पार्टी में जाना बड़ी चूक बनकर सामने आई। कमुलुवागांजा के सांई कृपा फाउंडेशन नशा मुक्ति परामर्श एवं पुनर्वास केंद्र से 19 नशेड़ियों के भागने से डायरेक्टर समेत पूरा स्टाफ सकते में हैं। डाक्टरों की मानें तो नशा नहीं मिलने पर नशेड़ी के व्यवहार में बदलाव धीरे-धीरे आता है।
इससे उसका चिड़चिड़ा होना स्वभाविक है। ऐसे में उन्हें दवा खिलाई जाती हैं। इसी तरह सांई कृपा फाउंडेशन के नशा मुक्ति केंद्र में नशेड़ियों के खानपान व दवा का ध्यान तो भरपूर दिया जा रहा है, लेकिन उनकी सुरक्षा में कहीं न कहीं चूक की गई है। यहां रह रहे नशेड़ियों में दमुवाढूंगा, बाजपुर व हल्द्वानी के तीन-चार युवक आपराधिक प्रवृत्ति के हैं।
असल में पुलिस ने गत दिनों नशेड़ियों के विरुद्ध अभियान चलाया था। इस क्रम में नशा करने वाले लोगों को उनके स्वजनों की सहमति पर नशा मुक्ति केंद्र में डाला गया। केंद्र में भी इनका व्यवहार नहीं बदला। अब तो डायरेक्टर दुष्यंत आहूजा आरोप लगा रहे हैं कि पुलिस ने जिद कर नशेड़ियों को भेजा।