उत्तराखंड बनने के बाद से 2019 तक कुख्यात संजीव माहेश्वरी उर्फ जीवा का नाम हरिद्वार में समय-समय पर गूंजता रहा। कभी रंगदारी, कभी शूटआउट तो कभी हत्या की घटनाओं में जीवा का हाथ निकलकर सामने आया। साल 2000 से 2007 तक हरिद्वार के व्यापारी, प्रॉपर्टी डीलर जीवा का नाम सुनकर कांप उठते थे।
एक दशक बाद जीवा ने ट्रैक बदला और विवादित संपत्तियों में दखल देना शुरू किया। कनखल में 50 करोड़ से अधिक की जमीन को लेकर जीवा ने प्रॉपर्टी डीलर सुभाष सैनी की हत्या के लिए तीन बार शूटर भेजे। दो बार गोली लगने के बावजूद प्रॉपर्टी डीलर की जान बच गई।
तीसरी बार साल 2017 में उसके गुर्गों ने गलती से प्रॉपर्टी डीलर के बजाय कंबल व्यापारी अमित दीक्षित उर्फ गोल्डी की हत्या कर दी। साल 2000 में जब उत्तराखंड राज्य वजूद में आया, उस समय पश्चिमी उत्तर प्रदेश में संजीव उर्फ जीवा के नाम का डंका बज रहा था। मुजफ्फरनगर जिले में उसके खिलाफ लूट, हत्या व रंगदारी के मुकदमों की लंबी फेहरिस्त बन चुकी थी। पड़ोसी जिले से आए दिन घटनाओं की गूंज सुनने वाले हरिद्वार के व्यापारी लैंडलाइन पर जीवा के नाम से कॉल आते ही रकम थमा देते थे।