सुप्रीम कोर्ट ने इलाहाबाद हाई कोर्ट के संवेदनहीन फैसले पर रोक लगाई, नाबालिग से छेड़छाड़ को बलात्कार नहीं मानने की टिप्पणी खारिज

सुप्रीम कोर्ट ने इलाहाबाद हाई कोर्ट द्वारा दिए गए एक फैसले पर रोक लगाई, जिसमें कहा गया था कि नाबालिग लड़की के स्तनों को पकड़ना और उसके ‘पजामा’ की डोरी खींचना बलात्कार या बलात्कार का प्रयास नहीं माना जाएगा। सुप्रीम कोर्ट ने इसे संवेदनहीन और अमानवीय टिप्पणी करार दिया। इस मामले में, तीन आरोपियों पर आरोप था कि उन्होंने नाबालिग लड़की से रास्ते में छेड़छाड़ की, जिसमें एक आरोपी ने उसके स्तन को पकड़ने की कोशिश की और दूसरे ने उसकी डोरी खींची।

इलाहाबाद हाई कोर्ट ने आरोपियों के कृत्य को बलात्कार का प्रयास नहीं माना और इसे केवल महिला की इज्जत उतारने के इरादे से की गई छेड़छाड़ बताया। कोर्ट ने आईपीसी की धारा 354-बी और पोक्सो एक्ट की संबंधित धाराओं में आरोप तय किए।

सुप्रीम कोर्ट ने इस फैसले पर रोक लगाते हुए उत्तर प्रदेश सरकार और केंद्र से जवाब तलब किया। इस फैसले के बाद केंद्रीय महिला एवं बाल विकास मंत्री अनुप्रिया पटेल ने भी इसे गलत और संवेदनहीन बताते हुए सुप्रीम कोर्ट से हस्तक्षेप की अपील की थी। सुप्रीम कोर्ट का यह कदम महिलाओं के प्रति अपराधों की गंभीरता को लेकर महत्वपूर्ण है।

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