सुप्रीम कोर्ट का निर्देश: राज्यपाल द्वारा राष्ट्रपति को भेजे गए विधेयकों पर 3 माह के भीतर निर्णय लें राष्ट्रपति

सुप्रीम कोर्ट ने एक ऐतिहासिक फैसले में केंद्र सरकार को निर्देश दिया है कि राज्यपाल द्वारा राष्ट्रपति को विचारार्थ भेजे गए विधेयकों पर अधिकतम तीन महीने के भीतर निर्णय लिया जाए। यह निर्देश अदालत ने राज्यपालों की भूमिका को लेकर दायर की गई याचिकाओं पर सुनवाई करते हुए दिया। कोर्ट ने कहा कि विधायिका द्वारा पारित विधेयकों को अनिश्चित काल तक लंबित रखना संविधान की भावना के विपरीत है और इससे लोकतांत्रिक प्रक्रिया बाधित होती है।

न्यायमूर्ति डी. वाई. चंद्रचूड़ की अध्यक्षता वाली पीठ ने स्पष्ट किया कि राज्यपालों का यह कर्तव्य है कि वे विधेयकों को उचित समय में मंजूरी दें या राष्ट्रपति को भेजें, लेकिन राष्ट्रपति के पास भेजने के बाद अनिश्चितकालीन देरी नहीं की जा सकती। अदालत ने इस देरी को “असंवैधानिक” बताते हुए कहा कि यह राज्य सरकारों की विधायी प्रक्रिया को निष्क्रिय करने जैसा है।

इस निर्णय को भारतीय संघीय ढांचे और लोकतंत्र के लिए एक मील का पत्थर माना जा रहा है, क्योंकि इससे विधायिकाओं को उनके अधिकारों की रक्षा मिलेगी और कार्यपालिका की जवाबदेही सुनिश्चित होगी।

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