बुधवार को सुप्रीम कोर्ट की पीठ ने कहा कि देश को एक ऐसे मुख्य चुनाव आयुक्त की जरूरत है जो प्रधानमंत्री के खिलाफ का कार्रवाई कर सके. अदालत ने कहा कि देश को टी एन शेषन जैसे शख्स की जरूरत है.
जस्टिस के एम जोसेफ की अगुवाई वाली पांच जजों की पीठ ने कहा फर्ज कर लें कि अगर पीएम के खिलाफ कोई आरोप हो और उस पर सीईसी को कार्रवाई करनी हो.
लेकिन जब सीईसी कमजोर हो और वो संविधान प्रदत्त तरीकों से काम ना करते हों तो क्या यह व्यवस्था का ब्रेकडाउन नहीं है. मुख्य निर्वाचन आयुक्त को राजनीतिक प्रभाव से अलग करने के साथ ही स्वतंत्र होना चाहिए. ये सब कुछ ऐसे बिंदु हैं जिसके बारे में विचार करने की जरूरत है. इसलिए कैबिनेट की जगह हमें एक बड़े संस्था की जरूरत है.
पीठ ने कहा कि कुछ समितियों के मुताबिक अब बदलाव की बड़ी जरूरत है. राजनीतिक शख्सियतें बदलाव की बड़ी बड़ी बातें तो करती हैं. लेकिन कुछ होता नहीं है. जस्टिस के एम जोसेफ की अध्यक्षता वाली पांच जजों की संविधान पीठ और जस्टिस अजय रस्तोगी, अनिरुद्ध बोस, हृषिकेश रॉय और सी टी रविकुमार भी शामिल हैं.
कई सीईसी रह चुके हैं और टी एन शेषन कभी-कभार ही होते हैं. हम नहीं चाहते कि कोई उसे बुलडोजर चलाए. तीन पुरुषों (दो ईसी और सीईसी) के नाजुक कंधों पर भारी शक्ति निहित है.
हमें सीईसी के पद के लिए सर्वश्रेष्ठ व्यक्ति की तलाश करनी है. सवाल यह है कि हम उस सर्वश्रेष्ठ व्यक्ति को कैसे ढूंढते हैं और उस सर्वश्रेष्ठ व्यक्ति की नियुक्ति कैसे करते हैं. मंगलवार की सुनवाई के दौरान सुप्रीम कोर्ट की बेंच ने कहा कि 2004 के बाद से किसी भी सीईसी ने छह साल का कार्यकाल पूरा नहीं किया है.
17 नवंबर, 2022 को केंद्र ने सीईसी और ईसी के चयन के लिए कॉलेजियम जैसी प्रणाली की मांग करने वाली याचिकाओं का जोरदार विरोध किया था.