उत्तराखंड हाईकोर्ट ने सोमवार को प्राथमिक एवं उच्च प्राथमिक विद्यालयों में फर्जी दस्तावेजों के आधार पर नियुक्ति प्राप्त करने वाले लगभग साढ़े तीन हजार शिक्षकों की नियुक्ति के खिलाफ दायर जनहित याचिका पर सुनवाई की।
इसमें राज्य सरकार को तीन माह के भीतर सभी शिक्षकों के दस्तावेजों की जांच कर कोर्ट में रिपोर्ट पेश करने को कहा है। सोमवार को सुनवाई के दौरान सरकार ने कोर्ट से दस्तावेजों की जांच के लिए छह माह का समय मांगा, लेकिन कोर्ट ने तीन माह के भीतर सभी शिक्षकों के दस्तावेजों की जांच पूरी करने के आदेश दिए।
सुनवाई कार्यवाहक मुख्य न्यायाधीश रवि कुमार मलिमथ एवं न्यायमूर्ति आलोक कुमार वर्मा की खंडपीठ में हुई।
स्टूडेंट वेलफेयर सोसायटी, हल्द्वानी की ओर से जनहित याचिका दायर की गई है। इसमें कहा है कि राज्य के प्राथमिक एवं उच्च प्राथमिक विद्यालयों में करीब साढ़े तीन हजार शिक्षक जाली दस्तावेजों के आधार पर फर्जी तरीके से नियुक्त किए गए हैं।
इनमें से कुछ अध्यापकों की एसआईटी जांच की गई। इनमें से खचेड़ू सिंह, ऋषिपाल और जयपाल के नाम सामने आए, लेकिन विभागीय अधिकारियों की मिलीभगत के कारण इन सभी को क्लीन चिट दे दी गयी। इसके बाद से ये सभी अब भी विद्यालयों में सेवाएं दे रहे हैं।
संस्था ने इस प्रकरण की एसआईटी से जांच कराने की मांग की। पूर्व में राज्य सरकार ने अपने शपथ पत्र में कहा था कि इस मामले की एसआईटी जांच चल रही है। अभी तक 84 अध्यापक जाली दस्तावेजों के आधार पर नियुक्ति पाने वाले पाए गए हैं।
उन पर विभागीय कार्यवाही चल रही है। सोमवार को सुनवाई में कोर्ट ने सरकार से तीन माह के भीतर सभी शिक्षकों के दस्तावेजों