तमिलनाडु के मुख्यमंत्री एमके स्टालिन ने केंद्र सरकार की तीन-भाषा नीति का विरोध करते हुए इसे ‘हिंदी थोपने’ का प्रयास करार दिया है। उन्होंने कहा कि “भाषाई समानता की मांग उग्रवाद नहीं है,” और इसे तमिलनाडु जैसे राज्य पर थोपने का कोई कारण नहीं है। स्टालिन ने आरोप लगाया कि केंद्र सरकार तमिलनाडु को इस नीति को अपनाने के लिए वित्तीय दबाव डाल रही है, जिससे राज्य को योजनाओं के लिए धन से वंचित किया जा रहा है।
उन्होंने यह भी कहा कि तमिलनाडु ने कभी उत्तर भारत से तमिल सीखने की मांग नहीं की, इसलिए हिंदी को थोपने का कोई औचित्य नहीं है। केंद्र सरकार की तीन-भाषा नीति के तहत, छात्रों से तीन भाषाएं सीखने की अपेक्षा की जाती है, जिसमें कम से कम दो भारतीय भाषाएं शामिल होनी चाहिए।
स्टालिन ने कहा कि हिंदी के प्रचार के कारण क्षेत्रीय भाषाओं, जैसे तमिल, की अनदेखी हो रही है, जो कि एक गंभीर समस्या है। उनका कहना था कि हिंदी के प्रभाव से तमिल और अन्य क्षेत्रीय भाषाओं की पहचान को खतरा हो सकता है। इस विवाद ने देशभर में भाषाई पहचान और राष्ट्रीय एकता पर महत्वपूर्ण बहस को जन्म दिया है।