बता दें कि शारदीय नवरात्रि हिंदुओं की विशेष आस्था का पर्व है. नवरात्रि को देश के विभिन्न राज्यों में अलग-अलग तरीकों से मनाया जाता है. धार्मिक मान्यताओं के अनुसार इस पर्व की शुरुआत तब हुई जब मां दुर्गा के द्वारा राक्षस महिषासुर का वध कर दिया गया. दोनों के बीच 9 दिनों तक लड़ाई चली और दसवें दिन मां दुर्गा ने राक्षस का वध कर दिया था. इन नौ दिनों में मां दुर्गा ने अपने प्रताप से महिषासुर का अंत किया था. उसी समय से नवरात्रि का पर्व मनाने की परंपरा चली आ रही है. दुर्गा का जन्म ब्रह्मा, विष्णु और शिव जी के तेज से माना जाता है.
दैवीय पुराण में कलश को नौ देवियों का स्वरूप माना गया है. मान्यता है कि कलश के मुख में श्रीहरि, कंठ में रुद्र और मूल में ब्रह्मा जी वास करते हैं. माना जाता है कि कलश घर में सुख समृद्धि लाता है. बता दें कि आज से शुरू हो रही नवरात्रि 14 अक्टूबर तक रहेंगी. पहला दिन 7 अक्टूबर, मां शैलपुत्री की पूजा, दूसरा दिन 8 अक्टूबर, मां ब्रह्मचारिणी की पूजा, तीसरा दिन 9 अक्टूबर, मां चंद्रघंटा और मां कुष्मांडा की पूजा, चौथा दिन 10 अक्टूबर, मां स्कंदमाता की पूजा, पांचवां दिन 11 अक्टूबर, मां कात्यायनी की पूजा छठवां दिन 12 अक्टूबर, मां कालरात्रि की पूजा, सातवां दिन 13 अक्टूबर, मां महागौरी की पूजा, आठवां दिन 14 अक्टूबर, मां सिद्धिदात्री की पूजा की जाएगी.
इसके अगले दिन 15 अक्टूबर विजयादशमी (दशहरा) पर्व मनाया जाएगा. नवरात्रि में करें इन मंत्रों का उच्चारण, ॐ जयंती मंगला काली भद्रकाली कपालिनी। दुर्गा क्षमा शिवा धात्री स्वाहा स्वधा नमोऽस्तुते।। या देवी सर्वभूतेषु तुष्टिरूपेण संस्थिता, नमस्तस्यै नमस्तस्यै नमस्तस्यै नमो नमः।। सर्वमंगल मांगल्ये शिवे सर्वार्थ साधिके। शरण्ये त्र्यंबके गौरी नारायणि नमोऽस्तुते।।
शंभू नाथ गौतम, वरिष्ठ पत्रकार