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बॉलीवुड में 90 के दशक में नदीम के साथ जोड़ी बनाने वाले श्रवण राठौड़ का संगीत से टूटा साथ

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90 के दशक में बॉलीवुड में संगीतकार की जोड़ी नदीम-श्रवण ने संगीत की ऐसी तान छेड़ी कि सिनेमा प्रेमियों के साथ देश का हर वर्ग एक दशक तक संगीत में झूमता रहा । इन दोनों के संगीत का कमाल था कि हर फिल्म सुपरहिट हो जाती थी और उसके गाने जो कि नदीम-श्रवण के संगीत से सजे हुए होते थे, पूरे देश भर में खूब सुने जाते ।

इन दोनों की जोड़ी का 10 साल तक बॉलीवुड के संगीत जगत में एकछत्र राज रहा। नदीम-श्रवण का संगीत, समीर अनजान के गीत और कुमार सानू की आवाज होती थी वह गाना तो हिट होता ही था साथ में उस फिल्म की भी सुपरहिट होने की गारंटी मानी जाती थी ।

दोनों की जोड़ी टी सीरीज के गुलशन कुमार की पसंदीदा बन गई और उन्होंने कई फिल्मों में एक से बढ़कर एक संगीत दिया। आज हम बात कर रहे हैं मशहूर संगीतकार नदीम-श्रवण फेम, श्रवण राठौड़ की। गुरुवार रात लगभग 10 बजे श्रवण ने दुनिया को अलविदा कह दिया ।

जब प्रशंसकों को इस बात की खबर लगी तब सोशल मीडिया पर संगीत प्रेमियों और प्रशंसकों ने अपने फेवरेट संगीतकार को श्रद्धांजलि दी । सभी यूजर 90 के दशक में श्रवण के बॉलीवुड और फिल्मों में दिए गए योगदान को याद कर रहे हैं।

बता दें कि गुरुवार को म्यूजिक डायरेक्टर श्रवण राठौड़ का मुंबई के रहेजा अस्पताल में निधन हो गया। वह कोरोना संक्रमण से जूझ रहे थे। वह वेंटिलेटर पर थे।

कोरोना के संक्रमण के इलाज के लिए अस्पताल में भर्ती 65 वर्षीय श्रवण राठौड़ की हार्टअटैक और मल्टीपल ऑर्गन फेल्योर से मौत हो गई। श्रवण राठौड़ को हृदय से संबंधित गंभीर समस्याएं थीं। मधुमेह और कोरोना ने सेहत को और बिगड़ दिया था।

बॉलीवुड में जब श्रवण की मृत्यु का समाचार मिला तब शोक की लहर दौड़ गई। बता दें कि श्रवण के भाई रूप कुमार राठौड़ और विनोद राठौड़ भी सिंगर्स हैं। दोनों ही कई हिट गाने दे चुके हैं।

नदीम श्रवण ने अपने संगीत के बल पर कई फिल्मों को सुपरहिट कराया—

वर्ष 1989 में महेश भट्ट निर्देशित फिल्म ‘आशिकी’ से नदीम-श्रवण ने ऐसा संगीत दिया जो पूरे देश ही नहीं बल्कि दुनिया भर में खूब सुना गया। इसके बाद इस जोड़ी ने पीछे मुड़कर नहीं देखा एक के बाद एक कई लगातार सुपरहिट फिल्मों में संगीत देते चले गए ।

उस दौर में कई निर्माता-निर्देशकों की नदीम-श्रवण के घरों पर संगीत देने के लिए लाइन लगी रहती थी। श्रवण राठौड़ के साथी संगीतकार नदीम के साथ उनकी खूब बनती थी। बता दें कि दोनों ने ‘आशिकी’, ‘साजन’, ‘दिल है कि मानता नहीं’, ‘दीवाना’, ‘सड़क’, ‘सैनिक’, ‘दिलवाले’, ‘राजा हिंदुस्तानी’, ‘फूल और कांटे’ और ‘परदेस’, ‘ये दिल आशिकाना’, ‘राज’, ‘कयामत’, ‘दिल है तुम्हारा’, ‘बेवफा’ और ‘बरसात’,’धड़कन’ जैसी कई फिल्मों में संगीत देकर सफलता हासिल की थी।

नदीम और श्रवण ने अपने करियर के दौरान कई अवॉर्ड्स जीते। उन्हें फिल्म आशिकी, राजा हिंदुस्तानी, साजन और दीवाना फिल्म के लिए फिल्मफेयर बेस्ट म्यूजिक डायरेक्टर का अवॉर्ड मिला था। साल 1997 में निर्माता, निर्देशक और टी सीरीज कंपनी के मालिक गुलशन कुमार की हत्या के केस में नदीम का नाम आने के बाद नदीम लंदन भाग गए थे।

फिर वो दोबारा कभी भारत नहीं लौटे। नदीम के भाग जाने के बाद ये मशहूर जोड़ी हमेशा के लिए टूट गई। 2002 में एक भारतीय कोर्ट ने सबूत न होने की वजह से उनके खिलाफ हत्या में शामिल होने के केस को रद कर दिया गया था।

जाने-माने गीतकार समीर अनजान ने अगर किसी संगीतकार जोड़ी के लिए सबसे ज्यादा गाने लिखे थे तो वो नदीम-श्रवण के लिए लिखे थे। 90 के दशक में नदीम के साथ श्रवण ने जिस तरह का मधुर संगीत दिया, उसे हमेशा याद रखा जाएगा और उनके तमाम मधुर गानों को संगीत प्रेमी और प्रशंसक हमेशा गुनगुनाते रहेंगे।

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