राजस्थान के वरिष्ठ कांग्रेस नेता भंवर लाल शर्मा का रविवार को जयपुर में 77 वर्ष की आयु में निधन हो गया. शनिवार को उन्हें बेचैनी की शिकायत के बाद एसएमएस अस्पताल में भर्ती कराया गया था. जहां उन्होंने अंतिम सांस ली.
उनके पार्थिव शरीर को हनुमान नगर स्थित उनके आवास पर ले जाया गया है. लोगों को श्रद्धांजलि देने के लिए इसे विद्याधर नगर ब्राह्मण महासभा भवन में रखा जाएगा. अंतिम संस्कार सोमवार दोपहर सरदारशहर में किया जाएगा.
ऐसा रहा सियासी सफर
भंवर लाल शर्मा का जन्म 17 अप्रैल, 1945 को राजस्थान के चुरू जिले के सरदारशहर के जैतसीसर गाँव में हुआ था. भंवर लाल शर्मा ने 17 साल की उम्र में राजनीति में कदम रखा था. 1962 में वे जैतसीसर ग्राम पंचायत के सरपंच बने. वह 1962 से 1982 तक सरपंच रहे. 1982 में वे सरदारशहर पंचायत समिति के प्रमुख चुने गए.
भंवर लाल शर्मा ने 1985 में अपना पहला राजस्थान विधानसभा चुनाव लोक दल से लड़ा और विधायक बने. इसके बाद वह जनता पार्टी में शामिल हो गए. वह 1990 में दूसरी बार विधायक बनने में सफल रहे. उन्हें राजस्थान में इंदिरा गांधी नहर परियोजना मंत्री बनाया गया था. उन्होंने 1996 में राजस्थान विधानसभा उपचुनाव भी जीता. वह 1998, 2003, 2013 और 2018 के चुनावों में कांग्रेस के टिकट पर विधायक बने.
कांग्रेस नेता सचिन पायलट ने जब 2020 विद्रोह किया तो भंवर लाल शर्मा पायलट के साथ थे. इस विद्रोह में इनकी महत्वपूर्ण भूमिका थी और पायलट को सीएम बनाने की चाह रखने वाले नेताओं में से ये भी एक थे. शर्मा अपने बेबाकी के लिए भी जाने जाते हैं. यही कारण रहा कि कांग्रेस छोड़ किसी भी पार्टी में वो ज्यादा समय तक नहीं टिके. इन्हें जोड़-तोड़ का भी माहिर खिलाड़ी माना जाता था, कई बार सरकार के फंसने पर आगे आकर उसे बचा भी ले जाते थे.