उत्तराखंड में बर्ड फ्लू पर लगाम लगाने को डिवीजनों में आरआरटी की होगी कड़ी नजर

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उत्तराखंड में बर्ड फ्लू से निपटने के लिए प्रदेश के सभी 40 फारेस्ट डिवीजनों और संरक्षित क्षेत्रों में रैपिड रिस्पांस टीमें(आरआरटी) तैनात की जाएगी। चीफ वाइलड लाइफ वार्डन जेएस सुहाग ने सभी डीएफओ और पार्क निदेशकों को इसके आदेश दिए हैं।

बर्ड फ्लू का खतरा अभी पूरी तरह से नहीं टला है। जनवरी के बाद प्रदेश में कई माइग्रेटरी बर्ड वापस जाने लगेंगी। जबकि कुछ बर्ड्स फरवरी में भी यहां आएंगी। ऐसे में अगले कुछ दिनों में इन बर्ड्स का दो तरफा मूवमेंट बढ़ेगा।

इससे बर्ड फ्लू के संक्रमण की आशंका भी बढ़ेगी। आने वाले किसी भी खतरे से निपटने के लिए वन विभाग पूरी तैयार कर रहा है। सभी फारेस्ट डिवीजनेां में आरआरटी टीमों की तैनात की योजना है। इसके लिए सभी डीएफओ को विशेष ट्रेनिंग देकर ये टीमें नियुक्त करने के निर्देश दिए गए हैं।

इसके अलावा इन टीमों को सुरक्षा उपकरण,जांच किटें व अन्य सामान उपलब्ध कराने के निर्देश दिए गए हैं। बर्ड फ्लू को लेकर वन विभाग पूरी तरह से अलर्ट मोड पर है।


उन्होंने सभी डिवीजनों को इस बात से भी अलर्ट किया है कि बर्ड फ्लू फैलने का मुख्य कारण माइग्रेटरी बर्ड हैं।
इसका व्यापाक प्रचार प्रसार होने के बाद लोगों में इन पक्षियों के प्रति संदेश है, ऐसे में लोग आसपास ऐसे पक्षियों को देखकर उन्हें मारने की कोशिश करेंगे। इसे लेकर विभाग को पूरी तरह अलर्ट रहना।

ऐसे स्थान जहां ये पक्षी आते हैं उनके आसपास आबादी में नजर रखनी है कि इस कारण से कोई इन पक्षियों को बेवजह ना मारे। अगर लोगों को शंका होती है तो संदिग्ध पक्षियों के ब्लड सेंपल लिए जा सकते हैं। लेकिन उन्हें नुकसान ना पहुंचाया जाए।

पक्षियों के मरने के मामले लगातार आ रहे हैं। ऐसे में बर्ड फ्लू के फैलने की आशंका से इंकार नहीं किया जा सकता। खासकर वन क्षेत्र में तो पूरी तरह से आशंका बरकरार है। इसे देखते हुए सभी डिवीजनों में और संरक्षित एरिया में आरआरटी की तैनाती के ओदश दिए हैं।

ताकि अगर कहीं संक्रमण फैलता है ये टीम उससे निपट सके। प्रवासी पक्षियों की सुरक्षा को लेकर भी अलर्ट किया गया है।

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