आज बात होगी लहरों के बीच रोमांस भरे सफर की. यह सफर भले ही चाहे छोटा क्यों न हो लेकिन जिंदगी भर न भूलने वाला होता है. ऋषिकेश का नाम आते ही धर्म के साथ अध्यात्म याद आ जाता है.
यह तीर्थनगरी ऋषि-मुनियों की तपोस्थली रही है. इसके साथ ऋषिकेश पूरे दुनिया भर में ‘राफ्टिंग’ के लिए भी जाना जाता है. यहां गंगा में राफ्टिंग करने के लिए सैलानियों की भारी भीड़ रहती है.
कोरोना महामारी का ग्रहण राफ्टिंग पर भी पड़ा. लंबे इंतजार के बाद आखिरकार ऋषिकेश में आज गंगा में राफ्टिंग का रोमांच और साहसिक भरा सफर फिर शुरू हो गया है. वैसे यह रविवार से शुरू होना था लेकिन गंगा में जलस्तर बढ़ने से शुरू नहीं हो सका था.
‘राफ्टिंग शुरू होने से इस व्यवसाय से जुड़े संचालकों और लोगों के चेहरे खिल उठे हैं’. गौरतलब है कि इससे करीब 20 हजार से अधिक लोगों का प्रत्यक्ष और अप्रत्यक्ष रूप से रोजगार जुड़ा है.
एक माह में 50 लाख से अधिक का कारोबार होता है. ऋषिकेश में 280 राफ्टिंग कंपनियां हैं, जिनकी 575 राफ्टों का संचालन होता है. बता दें कि कोरोना संकटकाल से पहले पूरे साल में केवल दो महीने जुलाई-अगस्त गंगा में पानी का जलस्तर बढ़ने से राफ्टिंग का संचालन बंद होता था.
1 सितंबर से लेकर 30 जून तक राफ्टिंग संचालित होती थी. लेकिन इस बार कोविड-19 और गंगा के जलस्तर के कारण राफ्टिंग का संचालन 20 दिन देर से शुरू हुआ है. ऋषिकेश में राफ्टिंग करने के लिए लोग उत्साहित रहते हैं. इस तीर्थनगरी में धर्मशाला, आश्रम और होटल भी हैं. धर्मशाला और आश्रमों में आप आसानी से रुक सकते हैं.
ऋषिकेश में गंगा से इन स्थानों तक राफ्टिंग का किराया इस प्रकार है–
–35 किमी कौडियाला से रामझूला तक 2500 रुपये.
–20 किमी कौडियाला से शिवपुरी तक 1500 रुपये.
–10 किमी मैरीन ड्राइव से शिवपुरी तक 600 रुपये.
–25 किमी मैरीन ड्राइव से रामझूला तक 1500 रुपये.
–15 किमी शिवपुरी से रामझूला तक 1000 रुपये.
–9 किमी ब्रह्मपुरी से रामझूला तक 600 रुपये.
–9 किमी क्लब हाउस से रामझूला तक 600 रुपये.
शंभू नाथ गौतम, वरिष्ठ पत्रकार