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राहत भरी वापसी: एक साल बाद किसान जीत और उत्साह के साथ दिल्ली से अपने घरों की ओर लौटने लगे

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पिछले एक साल से अधिक कृषि कानून को लेकर आंदोलन कर रहे किसान आज राजधानी दिल्ली से अपने घरों की ओर लौटने लगे हैं. दिल्ली की सीमाओं पर लगे किसानों के तंबू आज हटा लिए गए. इसके साथ दिल्‍ली के टिकरी, सिंघु और यूपी-गाजीपुर बॉर्डर से किसान अपने-अपने घरों के लिए ट्रैक्टर और अन्य साधनों से लौटने लगे हैं. किसानों के आंदोलन और घर वापसी से केंद्र सरकार को भी राहत मिली है.

बता दें कि कृषि बिलों की वापसी और प्रस्ताव पर सरकार से समझौते के बाद किसानों ने 10 दिसंबर को विजय दिवस मनाने और घर वापसी का एलान किया था लेकिन हेलीकॉप्टर क्रैश में सीडीएस बिपिन रावत और अन्य सैन्य अधिकारियों के निधन की वजह से किसानों ने अपना प्लान एक दिन के लिए टाल दिया. किसानों ने साफ किया है कि आंदोलन अभी खत्म नहीं हुआ है बल्कि स्थगित हुआ है. 15 जनवरी को संयुक्त किसान मोर्चा की बैठक होगी जिसमें आगे की रणनीति तय की जाएगी. किसानों ने सिंघु, टिकरी और गाजीपुर बॉर्डर पर राजमार्गों पर नाकेबंदी हटा दी और तीन विवादास्पद कृषि कानूनों को निरस्त करने और फसलों के लिए न्यूनतम समर्थन मूल्य (एमएसपी) पर कानूनी गारंटी के लिए एक समिति गठित करने सहित उनकी अन्य मांगों को पूरा करने के लिए केंद्र के लिखित आश्वासन का जश्न मनाने के लिए एक ‘विजय मार्च’ निकाला.

इसके साथ पंजाब, हरियाणा और उत्तर प्रदेश सहित विभिन्न राज्यों में किसानों के अपने घरों के लिए रवाना होने के साथ ही भावनाएं उत्साह बनकर उमड़ने लगीं. रंग-बिरंगी रोशनी से सजे ट्रैक्टर जीत के गीत गाते हुए विरोध स्थलों से निकलने लगे और रंगीन पगड़ियां बांधे बुजुर्ग युवाओं के साथ नृत्य करते नजर आए. बता दें कि इन कानूनों को निरस्त करने के लिए 29 नवंबर को संसद में एक विधेयक पारित किया गया था. हालांकि किसानों ने अपना विरोध समाप्त करने से इनकार कर दिया और कहा कि सरकार उनकी अन्य मांगों को पूरा करे जिसमें एमएसपी पर कानूनी गारंटी और उनके खिलाफ पुलिस में दर्ज मामले वापस लेना शामिल है.

जैसे ही केंद्र ने लंबित मांगों को स्वीकार किया, आंदोलन की अगुवाई कर रही 40 किसान यूनियनों की छत्र संस्था, संयुक्त किसान मोर्चा ने गुरुवार को किसान आंदोलन को स्थगित करने का फैसला किया.

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