हाल के वर्षों में उत्तराखंड तेजी के साथ विकास के पथ पर आगे बढ़ रहा है. लेकिन अभी भी कई समस्याएं ऐसी हैं जो पूरी नहीं हो सकी हैं. जैसे पलायन, रोजगार और स्थायी राजधानी का मुद्दा समय-समय पर सियासी रंग भी ले लेता है. राज्य ने पिछले 21 सालों में तमाम उतार-चढ़ाव और प्राकृतिक आपदाओं का सामना किया और उसके बावजूद आज राज्य विकास के नए कीर्तिमान स्थापित कर रहा है.
शिक्षा से लेकर चिकित्सा सुविधाएं, और रोजगार को लेकर भी प्रदेश ने तरक्की की है. ऐसे ही ऋषिकेश, कर्णप्रयाग रेल लाइन पर जोरों पर काम चल रहा है और ये प्रोजेक्ट 2024-25 तक पूरा हो जाएगा और इसके साथ ही राज्य में टनकपुर-बागेश्वर परियोजना पर भी काम चल रहा है. चारधाम ऑल वेदर रोड प्रोजेक्ट पर काफी काम हो चुका है और उत्तराखंड देश का पहला राज्य है जहां उड़ान योजना के तहत हेली सेवाएं शुरू की गई हैं. जल्द ही हेमकुंड साहिब को भी रोपवे से जोड़ा जाएगा और केबल कार केदारनाथ तक चलेगी. उन्होंने कहा कि इससे प्रदेश को पर्यटन के क्षेत्र में काफी फायदा होगा. ऐसे ही राजधानी देहरादून से दिल्ली तक एक्सप्रेस-वे का भी तेजी के साथ निर्माण हो रहा है.
यही नहीं पिछले दिनों केदारनाथ दौरे पर आए प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने भी राज्य के विकास को लेकर कार्य योजना तैयार की है. इसी प्रकार राज्य स्थापना के 21 साल बाद भी उत्तराखंड को स्थायी राजधानी नहीं मिल सकी है. देहरादून आज भी अस्थायी राजधानी है और गैरसैंण को बीजेपी सरकार के कार्यकाल में ग्रीष्मकालीन राजधानी बनाया गया. जबकि राज्य आंदोलन से जुड़े लोग गैरसैंण को जनभावनाओं की स्थायी राजधानी के रूप में देखते हैं. इसके अलावा राज्य से अभी भी पलायन नहीं रुक सका है. हालांकि राज्य सरकार इस दिशा में तेजी के साथ काम कर रही है.
शंभू नाथ गौतम