राष्ट्रपति द्रौपदी मुर्मू ने वक्फ (संशोधन) विधेयक 2025 को अपनी मंजूरी दे दी है, जिससे यह कानून बन गया है। यह विधेयक संसद में हाल ही में पारित हुआ था, जिसमें लोकसभा में 288 सदस्यों ने समर्थन किया और 232 ने विरोध, जबकि राज्यसभा में 128 सदस्यों ने पक्ष में और 95 ने विरोध में मतदान किया।
इस संशोधन का उद्देश्य वक्फ संपत्तियों के प्रबंधन में सुधार करना, पारदर्शिता बढ़ाना और प्रशासनिक प्रक्रियाओं को अधिक कुशल बनाना है। इसके तहत, वक्फ बोर्डों में गैर-मुस्लिम सदस्यों और महिलाओं को शामिल करने का प्रावधान किया गया है, जिससे विविधता और समावेशिता को बढ़ावा मिलेगा। साथ ही, सरकार को वक्फ संपत्तियों के सर्वेक्षण, पंजीकरण और विवाद निपटान प्रक्रियाओं में अधिक अधिकार दिए गए हैं।
हालांकि, इस विधेयक को लेकर विपक्षी दलों और कुछ मुस्लिम संगठनों ने आपत्ति जताई है, उनका मानना है कि यह मुस्लिम समुदाय के संवैधानिक अधिकारों का उल्लंघन करता है और धार्मिक संपत्तियों पर सरकारी नियंत्रण बढ़ाता है। कांग्रेस सांसद मोहम्मद जावेद और एआईएमआईएम प्रमुख असदुद्दीन ओवैसी ने इस विधेयक की संवैधानिक वैधता को सुप्रीम कोर्ट में चुनौती दी है।