जयपुर| प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी मंगलवार को राजस्थान के बांसवाड़ा जिले में स्थित मानगढ़ धाम पहुंचे. यहां उन्होंने ‘मानगढ़ की गौरव गाथा’ कार्यक्रम में शिरकत की. पीएम ने भील स्वतंत्रता सेनानी श्री गोविंद गुरु को श्रद्धांजलि दी. उन्होंने धूणी पर पहुंचकर पूजन किया और आरती उतारी.
प्रधानमंत्री ने अपने संबोधन में कहा कि वह सौभाग्यशाली हैं कि उन्हें एक बार फिर से मानगढ़ धाम में आकर शहीद आदिवासियों के सामने सिर झुकाने का मौका मिला है. उन्होंने कहा, ‘आजादी के अमृत महोत्सव में हम सभी का मानगढ़ धाम आना, ये हम सभी के लिए प्रेरक और सुखद है.
मानगढ़ धाम जनजातीय वीर-वीरांगनाओं के तप, त्याग, तपस्या और देशभक्ति का प्रतिबिंब है. ये राजस्थान, गुजरात, मध्य प्रदेश और महाराष्ट्र की साझी विरासत है. भारत का इतिहास, वर्तमान और भविष्य आदिवासी समाज के बिना पूरा नहीं होता.
गोविंद गुरु जैसे महान स्वतंत्रता सेनानी भारत की परंपराओं और आदर्शों के प्रतिनिधि थे. वह किसी रियासत के राजा नहीं थे, लेकिन वह लाखों आदिवासियों के नायक थे. अपने जीवन में उन्होंने अपना परिवार खो दिया, लेकिन हौसला कभी नहीं खोया.’
पीएम ने कहा कि पहले यह पूरा क्षेत्र वीरान था. आज चारों तरफ हरियाली है. आप लोगों ने इसे हरा भरा कर दिया, इसके लिए आप सभी का अभिनन्दन है. यहां हुए विकास से गोविन्द गुरु के विचारों का भी प्रचार हुआ. यहां 109 साल पहले 17 नवंबर के दिन जो नरसंहार हुआ था, वह अंग्रेजों की क्रूरता की पराकाष्ठा थी.
हजारों महिलाओं और युवाओं को मौत के घाट उतार दिया गया. आजादी के बाद लिखे गए इतिहास में उनके बलिदान को जगह नहीं मिली. आज अमृत महोत्सव में उस भूल को सुधारा जा रहा है. केंद्र सरकार ने एक बयान जारी कर कहा कि प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने राजस्थान के मानगढ़ धाम को राष्ट्रीय स्मारक घोषित किया है.
प्रधानमंत्री मोदी ने कहा कि हमारी आजादी की लड़ाई का पग-पग, इतिहास का पन्ना-पन्ना आदिवासी वीरता से भरा पड़ा है. गोविंद गुरु का वह चिंतन, वह बोध, आज भी उनकी धुणी के रूप में, मानगढ़ धाम में अखंड रूप से प्रदीप्त हो रहा है. और उनकी सम्प सभा, यानि समाज के हर तबके में सम्प भाव पैदा हो, सम्प सभा के आदर्श, आज भी एकजुटता, प्रेम और भाईचारा की प्रेरणा दे रहे हैं.
जयपुर| प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी मंगलवार को राजस्थान के बांसवाड़ा जिले में स्थित मानगढ़ धाम पहुंचे. यहां उन्होंने ‘मानगढ़ की गौरव गाथा’ कार्यक्रम में शिरकत की. पीएम ने भील स्वतंत्रता सेनानी श्री गोविंद गुरु को श्रद्धांजलि दी. उन्होंने धूणी पर पहुंचकर पूजन किया और आरती उतारी.
प्रधानमंत्री ने अपने संबोधन में कहा कि वह सौभाग्यशाली हैं कि उन्हें एक बार फिर से मानगढ़ धाम में आकर शहीद आदिवासियों के सामने सिर झुकाने का मौका मिला है. उन्होंने कहा, ‘आजादी के अमृत महोत्सव में हम सभी का मानगढ़ धाम आना, ये हम सभी के लिए प्रेरक और सुखद है.
मानगढ़ धाम जनजातीय वीर-वीरांगनाओं के तप, त्याग, तपस्या और देशभक्ति का प्रतिबिंब है. ये राजस्थान, गुजरात, मध्य प्रदेश और महाराष्ट्र की साझी विरासत है. भारत का इतिहास, वर्तमान और भविष्य आदिवासी समाज के बिना पूरा नहीं होता.
गोविंद गुरु जैसे महान स्वतंत्रता सेनानी भारत की परंपराओं और आदर्शों के प्रतिनिधि थे. वह किसी रियासत के राजा नहीं थे, लेकिन वह लाखों आदिवासियों के नायक थे. अपने जीवन में उन्होंने अपना परिवार खो दिया, लेकिन हौसला कभी नहीं खोया.’
पीएम ने कहा कि पहले यह पूरा क्षेत्र वीरान था. आज चारों तरफ हरियाली है. आप लोगों ने इसे हरा भरा कर दिया, इसके लिए आप सभी का अभिनन्दन है. यहां हुए विकास से गोविन्द गुरु के विचारों का भी प्रचार हुआ. यहां 109 साल पहले 17 नवंबर के दिन जो नरसंहार हुआ था, वह अंग्रेजों की क्रूरता की पराकाष्ठा थी.
हजारों महिलाओं और युवाओं को मौत के घाट उतार दिया गया. आजादी के बाद लिखे गए इतिहास में उनके बलिदान को जगह नहीं मिली. आज अमृत महोत्सव में उस भूल को सुधारा जा रहा है. केंद्र सरकार ने एक बयान जारी कर कहा कि प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने राजस्थान के मानगढ़ धाम को राष्ट्रीय स्मारक घोषित किया है.
प्रधानमंत्री मोदी ने कहा कि हमारी आजादी की लड़ाई का पग-पग, इतिहास का पन्ना-पन्ना आदिवासी वीरता से भरा पड़ा है. गोविंद गुरु का वह चिंतन, वह बोध, आज भी उनकी धुणी के रूप में, मानगढ़ धाम में अखंड रूप से प्रदीप्त हो रहा है. और उनकी सम्प सभा, यानि समाज के हर तबके में सम्प भाव पैदा हो, सम्प सभा के आदर्श, आज भी एकजुटता, प्रेम और भाईचारा की प्रेरणा दे रहे हैं.
प्रधानमंत्री ने कहा कि 1780 में संथाल में तिलका मांझी के नेतृत्व में दामिन संग्राम लड़ा गया. 1830-32 में बुधू भगत के नेतृत्व में देश लरका आंदोलन का गवाह बना. 1855 में आजादी की यही ज्वाला सिधु-कान्हू क्रांति के रूप में जल उठी. भगवान बिरसा मुंडा ने लाखों आदिवासियों में आजादी की ज्वाला प्रज्ज्वलित की.
आज से कुछ दिन बाद ही 15 नवंबर को भगवान बिरसा मुंडा की जयंती पर देश जनजातीय गौरव दिवस मनाएगा. आदिवासी समाज के अतीत और इतिहास को जन-जन तक पहुंचाने के लिए, आज देशभर में आदिवासी स्वतंत्रता सेनानियों को समर्पित विशेष म्यूजियम बनाए जा रहे हैं.
देश में आदिवासी समाज का विस्तार और भूमिका इतनी बड़ी है कि हमें उसके लिए समर्पित भाव से काम करने की जरूरत है. राजस्थान और गुजरात से लेकर पूर्वोत्तर और ओडिशा तक विविधता से भरे आदिवासी समाज की सेवा के लिए आज देश स्पष्ट नीति के साथ काम कर रहा है.
देश में वन क्षेत्र भी बढ़ रहे हैं, वन संपदा भी सुरक्षित की जा रही है, साथ ही आदिवासी क्षेत्र #DigitalIndia से भी जुड़ रहे हैं. पारंपरिक कौशल के साथ-साथ आदिवासी युवाओं को आधुनिक शिक्षा के भी अवसर मिले, इसके लिए एकलव्य आदिवासी विद्यालय भी खोले जा रहे हैं.
इस दौरान प्रधानमंत्री के साथ राजस्थान के मुख्यमंत्री अशोक गहलोत, मध्य प्रदेश के मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान और गुजरात के मुख्यमंत्री भूपेंद्र भाई पटेल भी मौजूद रहे. मानगढ़ धाम और आदिवासी समाज का प्रधानमंत्री मोदी के लिए क्या महत्व है, यह उन्होंने हाल ही में अपने ‘मन की बात’ कार्यक्रम में भी जाहिर किया था.
प्रधानमंत्री ने कहा था- आदिवासी समाज प्रकृति का रक्षक है और धरती मां का सेवक समुदाय है. सभी को उनसे पर्यावरण संरक्षण का काम सीखना चाहिए.’ मानगढ़ धाम का आजादी से पहले का पुराना इतिहास भी है. यहां 109 साल पहले मानगढ़ टेकरी पर अंग्रेजी फौज ने आदिवासी नेता और समाज सेवक गोविंद गुरु के 1500 समर्थकों को गोलियों से भून दिया था.
गोविंद गुरु से प्रेरित होकर आदिवासी समाज के लोगों ने अंग्रेजों की दमनकारी नीतियों के खिलाफ ‘भगत आंदोलन’ चलाया था. गोविंद गुरु लोगों को मादक पदार्थों से दूर रहने और शाकाहार अपनाने के लिए प्रेरित कर रहे थे. साथ ही वह बांसवाड़ा, डूंगरपुर, संतरामपुर और कुशलगढ़ के रजवाड़ों द्वारा करवाई जा रही बंधुआ मजदूरी के खिलाफ आवाज उठा रहे थे.