25 जनवरी को पद्म पुरस्कारों का ऐलान हुआ. अलग अलग क्षेत्रों में असाधारण काम करने वालों के नाम पद्म पुरस्कारों की सूची में शामिल थे जिसमें सपा के संरक्षक रहे मुलायम सिंह यादव का नाम भी है. केंद्र सरकार के इस फैसले को असाधारण इसलिए माना जा रहा है क्योंकि मुलायम सिंह का नाम कारसेवकों के दमन, राम मंदिर के विरोध के तौर पर जाना जाता था.
बीजेपी के कई नेताओं के साथ साथ कई हिंदुवादी संगठनों उन्हें मुल्ला मुलायम की संज्ञा भी देते थे. ऐसी सूरत में मुलायम सिंह यादव को पद्म विभूषण से सम्मानित करने के पीछे की वजह क्या हो सकती है. जानकार इसके पीछे अलग अलग तर्क देते हैं.
क्या कहना है जानकारों का
कुछ जानकारों का कहना है कि भले ही मुलायम सिंह यादव, राम मंदिर विरोध, कार सेवकों के दमन और बीजेपी के विरोध के लिए जाने जाते हों. लेकिन एक सच यह भी है कि यूपी की सियासत में इंटर कॉलेज का एक अध्यापक अपनी जगह बनाता है उस सच को कैसे झुठलाया जा सकता है.
देश के सबसे बड़े सूबे में से एक यूपी की जनता ने उन पर एक बार नहीं बल्कि कई बार भरोसा किया. लिहाजा केंद्र सरकार के फैसले को सामान्य फैसले की तरह लिया जा सकता है. हालांकि कुछ जानकार कहते हैं कि सियासत में कोई फैसला सामान्य नहीं होता, असामान्य होता है. सवाल यह है कि मुलायम सिंह की शख्सियत और उन्हें सम्मानित करने का फैसला उनके मरणोपरांत ही केंद्र सरकार को क्यों आया.
यूपी में लोकसभा की कुल 80 सीट
कुछ जानकार कहते हैं कि यूपी के 80 सीटों में अधिकतर सीटों पर बीजेपी का तिबारा कब्जा हो इसके लिए पार्टी कई रणनीति पर काम कर रही है. बीजेपी यादव समाज में यह संदेश देने की कोशिश कर रही है. मुलायम सिंह किसी खास दल या परिवार से नहीं बल्कि सबसे जुड़े रहे हैं, लिहाजा उन पर किसी खास परिवार का दावा कैसे सही है. बीजेपी को पता है कि लोकसभा चुनाव 2024 में उसे समाजवादी पार्टी से कड़ी टक्कर मिलेगी क्योंकि उसके पास खास जनाधार है.
उस खास जनाधार में अगर पार्टी कुछ फीसद तक सेंध लगाने में कामयाब होती है तो 2014, 19 के नतीजों को दोहराने में दिक्कत नहीं होगी. हाल ही में जिस तरह से बीजेपी ने सुधा यादव(हरियाणा से आती हैं) को संसदीय दल में जगह मिली. कानपुर में हरमोहन सिंह यादव के योगदान की पीएम मोदी ने तारीफ की उसे सियासी तौर पर अहम माना जा रहा है.
कई बार सामने आई मुलायम सिंह यादव- मोदी की कैमिस्ट्री
इससे इतर अगर मुलायम सिंह यादव और पीएम नरेंद्र मोदी की कैमिस्ट्री को देखें तो तो दो प्रसंगों को याद किया जा सकता है. जैसे संसद में मुलायम सिंह यादव ने कहा था कि 2019 में तो जीत कर पीएम मोदी ही आएंगे. इसके साथ ही सैफई के एक कार्यक्रम में जब पीएम मोदी के कान में मुलायम सिंह ने कुछ कहा तो वो भी चर्चा के केंद्र में रहा. पीएम मोदी इस तरह के संकेतों के जरिए समाजवादी पार्टी के कैडर को संदेश देने की कोशिश भी करते हैं कि धरतीपुत्र नेताजी का स्नेह उनके लिए भी कम नहीं था.