गुरुवार को सुप्रीम कोर्ट के जज जस्टिस डीवाई चंद्रचूड़ एक केस की सुनवाई के दौरान अचानक दंग रह गए जब उन्होंने याद आया कि कोविड से पीड़ित होने के दौरान डॉक्टर ने उन्हें भी डोलो 650 टैबलेट ही दी थी.
दरअसल, सुनवाई डोलो बनाने वाली कंपनी पर डॉक्टरों को घूस देने के मामले पर चल रही थी. एक एनजीओ ने दावा किया कि डोलो निर्माता कंपनी ने डॉक्टरों को 1,000 करोड़ रुपये बांटे.
इस पर जस्टिस डीवाई चंद्रचूड़ और जस्टिस एएस बोपन्ना की पीठ ने इसे गंभीर मुद्दा बताते हुए कहा कि इस आरोप की तह तक जाना चाहिए.
सुप्रीम कोर्ट ने इस आरोप को ‘गम्भीर मुद्दा’ करार दिया. पीठ ने अतिरिक्त सॉलिसिटर जनरल केएम नटराज को 10 दिनों में याचिका पर अपना जवाब दाखिल करने को कहा और इसके बाद पारिख को अपना जवाब दाखिल करने के लिए एक सप्ताह का समय दिया. न्यायालय ने मामले की अगली सुनवाई के लिए 29 सितम्बर की तारीख मुकर्रर की है.
याचिकाकर्ता ‘फेडरेशन ऑफ मेडिकल एंड सेल्स रिप्रेजेंटेटिव एसोसिएशन ऑफ इंडिया’ की ओर से पेश वरिष्ठ अधिवक्ता संजय पारिख और अधिवक्ता अपर्णा भट ने न्यायमूर्ति डी. वाई. चंद्रचूड़ और न्यायमूर्ति ए. एस. बोपन्ना की पीठ को बताया कि 500 मिग्रा तक के किसी भी टैबलेट का बाजार मूल्य सरकार की कीमत नियंत्रण प्रणाली के तहत नियंत्रित होता है.
जस्टिस चंद्रचूड़ ने कहा, ‘आप जो कह रहे हैं वह सुनने में सुखद लगता है. यही दवा है जो मैंने कोविड होने पर ली थी. यह एक गंभीर मुद्दा है और हम इस पर गौर करेंगे.’