तमाम चुनौतियों, अव्यवस्थाओं के बीच 28 जनवरी को पौष पूर्णिमा से गंगा, यमुना और अदृश्य सरस्वती के संगम तट पर कल्पवास शुरू हो जाएगा। माघ मेला के दूसरे स्नान पर्व पर लाखों श्रद्धालु गुरु पुण्य योग में आस्था की डुबकी लगाएंगे। वैश्विक महामारी कोरोना के बीच जीवन-मृत्यु के बंधनों से मुक्ति की कामना लेकर कल्पवासी अलौकिक शक्ति बटोर कर ले जाएंगे।
पौराणिक मान्यताओं के अनुसार प्रयाग में कल्पवास करने वाले के लिए स्वर्ग का द्वार खुल जाता है। मनुष्य जीवन मरण के इस चक्र से मुक्ति पा जाता है। धार्मिक मान्यताओं के अनुसार तीर्थराज प्रयाग के संगम तट पर माघ महीने में एक माह तक कल्पवास करने से पुण्य फल प्राप्त होता है।
पौष पूर्णिमा पर स्नान मुहूर्त
उत्थान ज्योतिष संस्थान के निदेशक ज्योतिर्विद पं. दिवाकर त्रिपाठी पूर्वांचली के अनुसार पूर्णिमा तिथि 27 जनवरी, बुधवार की रात में 12:32 बजे से शुरू हो जाएगी जो 28 जनवरी को रात 12:32 बजे तक रहेगी। इसलिए गुरुवार को ब्रह्म मुहूर्त से ही स्नान दान शुरू हो जाएगा।
पौष पूर्णिमा पर गुरु पुण्य का योग
ज्योतिषाचार्य अवध नारायण द्विवेदी के अनुसार पौष पूर्णिमा पर गुरु पुण्य योग, प्रीति योग, शुभ योग और स्वार्थसिद्धि अमृत योग बन रहा है। शुभ फलों के योग से समस्त कार्य सिद्ध होता है।
सात्विक जीवन शैली इम्यूनिटी बढ़ाने में सहायक
आयुर्वेद व प्राकृतिक चिकित्सक टीएन पांडेय के अनुसार कल्पवास का प्रभाव व्यक्ति के दिल और दिमाग पर भी पड़ता है। इससे व्यक्ति को मानसिक ऊर्जा मिलती है। साथ ही संयमित, सादगीपूर्ण और सात्विक जीवन शैली से रोग प्रतिरोधक क्षमता में वृद्धि होती है। एक माह तक चलने वाले कल्पवास में सामाजिक सरोकार भी बढ़ जाता है। जान पहचान बढ़ने से पारिवारिक वातावरण तैयार हो जाता है।