संसद की एक स्थायी समिति ने गुरुवार को व्हॉट्सऐप की प्रस्तावित नई निजता नीति को लेकर चिंता जताई। सूत्रों ने बताया कि समिति ने प्रस्तावित बदलाव के मद्देनजर भारतीय नागरिकों की चिंताओं को रेखांकित किया है।
समिति के कुछ सदस्यों ने बताया कि सूचना प्रौद्योगिकी से संबंधित संसदीय समिति के समक्ष उपस्थित होने वाले व्हॉट्सऐप प्रतिनिधियों ने कहा कि प्रस्तावित बदलाव अधिक पारदर्शिता लाने के उद्देश्य से है। व्हॉट्सऐप ने कहा कि चैट और कॉल पहले की तरह एंड-टू-एंड एनक्रिप्टेड बने हुए हैं।
एक अन्य सदस्य ने कहा, “समिति के सदस्यों ने कहा कि जो बदलाव भारतीय उपयोगकर्ताओं के अनुकूल नहीं है उन्हें लागू करने की संभावना पर कंपनी अपने जवाब में ‘आक्रामक’ है, समिति की इस टिप्प्णी पर प्रतिनिधियों के पास कोई जवाब नहीं था।” सदस्य ने यह भी दावा किया कि कंपनी के प्रतिनिधि इस बात से सहमत थे कि डाटा का विमुद्रीकरण किया जा रहा है। समिति ने फेसबुक, ट्विटर और इलेक्ट्रॉनिक्स और सूचना प्रौद्योगिकी मंत्रालय के प्रतिनिधियों के साथ अलग से बातचीत की।
व्हॉट्सऐप ने समिति का आभार जताया:
बैठक के बाद व्हॉट्सऐप प्रवक्ता ने एक बयान में कहा, “हम माननीय संसदीय समिति को धन्यवाद देना चाहते हैं कि हमें उनके सामने पेश होने और अपने विचार प्रदान करने का अवसर मिला। हम भविष्य में भी माननीय समिति की सहायता के लिए तत्पर हैं।”
निजता समर्थकों के आरोप:
व्हॉट्सऐप ने इस महीने की शुरुआत में दुनियाभर में अपने दो अरब उपयोगकर्ताओं को गोपनीयता नीति के एक अपडेट को स्वीकार करने के लिए कहना शुरू किया था। नई शर्तों ने प्रौद्योगिकी विशेषज्ञों, निजता समर्थकों और उपयोगकर्ताओं के बीच नाराजगी पैदा कर दी। आरोप लगाए गए कि प्रस्तावित नीति से व्हॉट्सऐप को उपयोगकर्ताओं से एकत्र किए गए डाटा को व्यापक फेसबुक नेटवर्क के साथ साझा करने का अधिकार मिलता है। इस नेटवर्क में इंस्टाग्राम भी शामिल है।
नई नीति के अनुसार कुछ व्यवसायों को संदेशों को संग्रहित करने के लिए फेसबुक के स्वामित्व वाले सर्वर का उपयोग करना था। विरोध के बाद व्हॉट्सऐप ने 16 जनवरी को नई गोपनीयता नीति में बदलाव को 15 मई तक के लिए टाल दिया है।