22 अप्रैल को जम्मू-कश्मीर के पहलगाम में हुए आतंकी हमले के बाद भारत में गहरा आक्रोश देखा गया। हमले में 26 लोगों की जान गई थी, जिनमें 25 भारतीय और 1 नेपाली नागरिक शामिल थे। इस हमले की जिम्मेदारी ‘द रेजिस्टेंस फ्रंट’ (TRF) नामक आतंकी समूह ने ली है, जो पाकिस्तान से जुड़े होने का दावा करता है।
दिल्ली में इंडियन यूथ कांग्रेस के कार्यकर्ताओं ने पाकिस्तान के खिलाफ विरोध प्रदर्शन किया। उन्होंने पाकिस्तान का झंडा जलाया और नारेबाजी की। कांग्रेस की युवा शाखा ने रायसीना रोड स्थित अपने कार्यालय पर कैंडल मार्च निकाला, जबकि आम आदमी पार्टी ने जंतर-मंतर पर मोमबत्ती जलाकर जुलूस निकाला। राष्ट्रीय राजधानी में कई व्यापारी संघों ने भी हमले की निंदा की और अपनी बांहों पर काली पट्टी बांधकर विरोध प्रदर्शन किया।
जम्मू और कश्मीर में भी बड़े स्तर पर विरोध प्रदर्शन हुए। श्रीनगर में घंटाघर विरोध प्रदर्शनों का केंद्र बन गया, जहां नेशनल कॉन्फ्रेंस और पीडीपी सहित तमाम सियासी दलों ने अपने कार्यालय से मार्च निकाला, जिसका समापन लाल चौक के ऐतिहासिक चौराहे पर हुआ। विरोध प्रदर्शन में पाकिस्तान के खिलाफ नारे लगाए गए और पुतले जलाए गए।
यह घटना भारत में आतंकवाद के खिलाफ एकजुटता को दर्शाती है और पाकिस्तान के खिलाफ कड़ी कार्रवाई की मांग को बल देती है।