ओडिशा में पिछले छह वर्षों में प्रतिदिन औसतन तीन बाल विवाह के मामले सामने आए हैं, जो प्रशासन की विभिन्न पहलों के बावजूद एक चिंताजनक आंकड़ा है। सरकारी आंकड़ों के अनुसार, 2019 से फरवरी 2025 तक राज्य में कुल 8,159 बाल विवाह के मामले दर्ज किए गए, जिनमें से नबरंगपुर जिले में 1,347 मामले सामने आए, जो राज्य के सभी 30 जिलों में सबसे अधिक है। गंजाम जिले में 966 और कोरापुट में 636 मामले दर्ज किए गए।
विशेषज्ञों के अनुसार, इस समस्या के लिए आदिवासी प्रथाएं, दहेज प्रथा, श्रमिक परिवारों का पलायन और माता-पिता का अपनी बेटियों के भाग जाने का डर जिम्मेदार हैं। बाल विवाह को रोकने के लिए ओडिशा सरकार पंचायत, ब्लॉक और आंगनवाड़ी स्तर पर त्रैमासिक जागरूकता अभियानों का आयोजन कर रही है और संबंधित अधिकारियों को बाल विवाह निषेध अधिकारी के रूप में नियुक्त किया गया है।
इसके अतिरिक्त, राज्य में बाल श्रम भी एक चुनौती है, जिसमें पिछले छह वर्षों में 328 बच्चों को श्रमिक के रूप में बचाया गया है। सरकार ने इस दिशा में कई कदम उठाए हैं, लेकिन जमीनी स्तर पर और अधिक प्रयासों की आवश्यकता है।