राज्य में स्टाफ नर्स के पदों की भर्ती में सरकार की कड़ी शर्तों ने युवाओं के नौकरी पाने के सपने ध्वस्त कर दिए हैं। खासकर पहाड़ के युवा भर्ती को लेकर फार्म-16 और तीस बेड से ज्यादा के अस्पताल में एक साल के अनुभव की शर्त पूरी नहीं कर पाने से भर्ती प्रक्रिया से बाहर हो गए हैं। युवाओं की मांग है कि सरकार पहले भर्ती करे और उसके बाद प्रशिक्षण भी व्यवस्था करे।
राज्य सरकार ने स्टाफ नर्स के 1238 पदों की भर्ती निकाली है। आवेदन के लिए एक साल के अनुभव के साथ फार्म-16 की शर्त रखी गई है। इस शर्त पर ऐलिंग वेलफेयर नर्सिंग फाउंडेशन के प्रदेश अध्यक्ष बबलू कुमार का कहना है कि, स्टाफ नर्स पद के लिए डिप्लोमाधारियों के लिए बीएससी नर्सिंग स्तर की परीक्षा पैटर्न रखा है।
अनुभव प्रमाण पत्र 30 बेड से अधिक के अस्पताल का मांगा गया है। जबकि देहरादून, हरिद्वार, नैनीताल और ऊधमसिंहनगर जिलों को छोड़कर कहीं भी 30 बेड का कोई निजी अस्पताल नहीं है। इस शर्त के कारण सरकार के एनएचएम कार्यक्रम में कम्युनिटी हेल्थ ऑफिसर पद पर तैनात युवा भी स्टाफ नर्स भर्ती के लिए अयोग्य हो गए हैं।
इस मामले में फाउंडेशन से जुड़े बेरोजगार हाईकोर्ट की शरण लेने जा रहे हैं। उधर, केदारनाथ विधायक मनोज रावत ने एलटी संवर्ग में कला अध्यापकों के लिए शैक्षिक योग्यता में फाइन आर्ट व एमए चित्रकला के साथ बीएड अनिवार्य करने के विरोध में सीएम को पत्र भेजा है। पत्र में कहा है कि 30 दिसंबर 2019 तक सेवा नियमावली में एलटी कला संवर्ग में एमए चित्रकला व फाइनआर्ट पास छात्रों को बीएड जरूरी नहीं था। अब इसे अनिवार्य करने से कई युवा आवेदन प्रक्रिया से बाहर हो गए हैं इसलिए यह शर्त वापस ली जाए।