क्राइम

अगर रेप का लगया झूठा आरोप तो, लड़की को हो सकती है 7 साल की सजा

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Uttarakhand Political News

एक युवती द्वारा दुष्कर्म का झूठा केस दर्ज कराने पर अदालत ने उसके प्रति कड़ा रुख अपनाया है। अदालत ने युवती के खिलाफ संबंधित धाराओं में प्राथमिकी दर्ज करने के आदेश दिए हैं। अपराध सिद्ध होने पर युवती को अधिकतम सात साल तक की जेल हो सकती है।

मामले में युवती ने 2014 में एक परिवार के चार लोगों के खिलाफ दुष्कर्म व आपराधिक धमकी का मुकदमा दर्ज कराया था। सात साल तक चली सुनवाई के बाद अदालत ने पाया कि युवती ने दुष्कर्म की झूठी कहानी गढ़ी थी।

कड़कड़डूमा स्थित अतिरिक्त सत्र न्यायाधीश रमेश कुमार की अदालत में याचिका दाखिल कर कहा कि गलतफहमी की वजह से यह सबकुछ हुआ। लेकिन, अदालत ने युवती की दलील को सिरे से खारिज कर दिया। अदालत ने कहा कि कानून का दुरुपयोग किया गया है। एक परिवार ने लंबे समय तक बेकसूर होते हुए भी अदालत के चक्कर लगाए हैं।

अदालत ने यह भी कहा कि प्रथमदृष्टया युवती के खिलाफ झूठी गवाही देने और झूठा मुकदमा दर्ज कराने के पर्याप्त सबूत हैं। ऐसे में उसे बतौर आरोपी समन कर तलब करना न्यायसंगत है। इस मामले में सत्र अदालत के निर्देश पर मेट्रोपोलिटन मजिस्ट्रेट की अदालत ने युवती के खिलाफ मुकदमा दर्ज कराया है।


खजूरी खास थाने में मामला दर्ज

मामले में युवती के खिलाफ भारतीय दंड संहिता की धारा 182/211 के तहत खजूरी खास थाने में मुकदमा दर्ज कर लिया गया है। यह मामला झूठा कानूनी मुकदमा दर्ज करा दूसरे पक्षकार को सामाजिक व मानसिक चोट पहुंचाने के तहत दर्ज किया गया है। इस अपराध के साबित होने की स्थिति में झूठा मुकदमा दर्ज कराने वाली युवती को अधिकतम सात साल की जेल व जुर्माने की सजा का प्रावधान है।

यह था मामला

शिकायतकर्ता युवती ने 2014 में एक परिवार के चार सदस्यों के खिलाफ प्राथमिकी दर्ज कराई थी। युवती का कहना था कि युवक ने उसके साथ दुष्कर्म किया, जबकि उसकी बहन और माता-पिता ने उसका साथ दिया था। पुलिस ने परिवार के चारों सदस्यों के खिलाफ दुष्कर्म व आपराधिक धमकी देने का मुकदमा दर्ज किया था। लेकिन सुनवाई के दौरान अदालत ने पाया कि युवती ने मनगढ़त कहानी रचकर परिवार पर झूठे आरोप लगाए हैं। इसके बाद अदालत ने चारों आरोपियों को मुकदमे से बरी करते हुए युवती के खिलाफ झूठी गवाही देने व झूठा मामला दर्ज कराने संबंधी आरोपों के तहत मुकदमा दर्ज करने के आदेश दिए।

युवती ने उच्च न्यायालय में की अपील

युवती ने अदालत में दलील दी कि उसने सत्र अदालत के आदेश को दिल्ली उच्च न्यायालय में चुनौती दी है। लिहाजा, यह मुकदमा आगे नहीं बढ़ाया जाना चाहिए। लेकिन, अदालत ने कहा कि उच्च न्यायालय की तरफ से सत्र अदालत के मुकदमा दर्ज करने के आदेश पर रोक नहीं लगाई गई है। ऐसे में आरोपी युवती के खिलाफ मामले को आगे बढ़ाना उचित है।

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