बता दें कि जोशीमठ में भू-धंसाव के 29 दिन बाद भी सरकार पुनर्वास और पुनर्निर्माण पर कोई फैसला नहीं ले पाई है।
अब ऐसे में जोशीमठ के भविष्य को लेकर तस्वीर कब तक साफ हो पाएगी, शासन का कोई अधिकारी कुछ भी कहने की स्थिति में नहीं है।
सरकार ने एक दिन पहले पुनर्वास और विस्थापन के लिए तीन विकल्प तो प्रस्तुत कर दिए, लेकिन मुआवजा राशि और पुनर्वास की जमीन तय नहीं हो पाने के कारण इस पर भी वह आगे नहीं बढ़ सकती है।
तो वही 25 जनवरी को आठ वैज्ञानिक संस्थाओं ने अपनी अंतरिम रिपोर्ट राष्ट्रीय आपदा प्रबंधन प्राधिकरण को सौंप दी थी ।
ऐसे में जोशीमठ में पुनर्वास और विस्थापन ही नहीं तमाम दूसरे काम भी रुक गए हैं। हेलंग बाईपास का निर्माण, कितने भवन हटाए जाएंगे, कितनों की रेट्रोफिटिंग की जाएगी, सीवरेज, ड्रेनेज, नालों का निर्माण, टो इरोजन की रोकथाम के काम भी रिपोर्ट मिलने के बाद ही आगे बढ़ पाएंगे। इस बीच अन्य विषयों पर काम जारी है।