राजनीतिक दलों में कुछ वर्षों से नया ट्रेंड चल रहा है. वह है ‘दूर की सियासत’. पिछले साल जब प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने अपनी कैबिनेट का विस्तार किया था तो उसमें साल 2024 के लोकसभा चुनाव के साथ युवाओं और जातियों के समीकरण को ध्यान में रखते हुए सांसदों को मंत्री बनाया. उसके बाद ऐसे ही भाजपा ने गुजरात में विजय रूपानी को हटाकर पूरी नई टीम मंत्रिमंडल में शामिल कर दी. इसमें भी प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी और अमित शाह ने इस साल होने वाले गुजरात विधानसभा चुनाव को लेकर राज्य में नई सरकार गठित की गई थी. ऐसे ही कांग्रेस हाईकमान ने पंजाब में विधानसभा चुनाव के लिए दलित मुख्यमंत्री चरणजीत सिंह चन्नी को बनाकर बड़ा दांव खेला था. लेकिन कांग्रेस को इस चुनाव में पंजाब में कोई फायदा नहीं मिला.
उसके बाद भाजपा ने उत्तराखंड में पिछले दिनों धामी सरकार के गठन में भी साल 2024 और जातियों को ध्यान में रखते हुए मंत्रिमंडल बनाया. अब बात करते हैं उत्तर प्रदेश की. विधानसभा चुनाव के नतीजे (10 मार्च) आने के बाद बीजेपी केंद्रीय नेतृत्व योगी सरकार के गठन को लेकर साल 2024 में होने वाले लोकसभा चुनाव के लिए मंथन करने में जुटा रहा. आखिरकार 14 दिन बाद योगी की नई टीम तैयार हो पाई. शुक्रवार शाम को लखनऊ में योगी शपथ ग्रहण समारोह में कई मंत्री ऐसे रहे जिन्होंने हर किसी को चौंका दिया. सबसे ज्यादा चर्चा में योगी मंत्रिमंडल में नया ‘मुस्लिम चेहरा’ रहा. योगी आदित्यनाथ के शपथ ग्रहण समारोह में सभी की निगाहें अचानक राज्य मंत्री बनाए गए एकमात्र मुस्लिम दानिश आजाद अंसारी पर आकर टिक गई.
उसके बाद सभी ने राज्य मंत्री दानिश अंसारी की खोज खबर करनी शुरू कर दी. क्योंकि कई अधिकांश लोगों को उनके बारे में ज्यादा कुछ पता नहीं था, न उनके मंत्री बनाए जाने की पहले से कोई चर्चा थी. क्योंकि दानिश अंसारी भाजपा में पिछले काफी समय से पर्दे के पीछे ज्यादा काम करते रहे हैं. इस बार यूपी विधानसभा चुनाव में भी अंसारी ने मुस्लिम वोटों पर भाजपा के लिए फायदा कराया. योगी सरकार के पहले कार्यकाल में अल्पसंख्यक मंत्री रहे मोहसिन रजा के स्थान पर दानिश आजाद को राज्य मंत्री पद की शपथ दिलाई गई. आइए जानते हैं इनके बारे में.
दानिश अंसारी ने एबीवीपी से शुरू की थी अपनी सियासत की पारी
बता दें कि यूपी के बलिया के गांव अपायल के निवासी दानिश पिछले करीब 11 वर्षों से अखिल भारतीय विद्यार्थी परिषद (एबीवीपी) से जुड़े हैं. दानिश के पिता समीउल्लाह अंसारी बलिया में रहते हैं. वे अकेले भाई हैं. उनकी एक बहन है जिनकी शादी हो चुकी है. दानिश आजाद ने बारहवीं तक पढ़ाई बलिया से ही की है. उसके बाद लखनऊ विश्वविद्यालय से एडमिशन लिया था. उन्होंने 2006 में बीकॉम किया. लखनऊ विश्वविद्यालय से मास्टर ऑफ क्वालिटी मैनेजमेंट और मास्टर ऑफ पब्लिक एडमिनिस्ट्रेशन की पढ़ाई की है. दानिश 2011 में अखिल भारतीय विद्यार्थी परिषद से जुड़ गए. उसके बाद वह लगातार एबीवीपी में सक्रिय रहे. इसके साथ उन्होंने भाजपा की नीतियों का भी प्रचार प्रसार किया.
साल 2017 में यूपी में भाजपा की सरकार बनने के बाद दानिश अंसारी मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ के करीब आए. साल 2017 में योगी सरकार ने अंसारी को उर्दू भाषा समिति का सदस्य बनाया. उसके बाद इस बार विधानसभा चुनाव से कुछ समय पहले उन्हें भाजपा अल्पसंख्यक मोर्चा का महामंत्री बनाया गया. बता दें कि योगी सरकार के पूर्व मंत्री मोहसिन रजा शिया समुदाय से आते हैं. जबकि दानिश सुन्नी समुदाय के अंसारी समाज से आते हैं. अंसारी ने विधानसभा चुनाव के दौरान कड़ी मेहनत की. यही नहीं इस बार भाजपा का मुस्लिम समाज में वोट प्रतिशत बढ़ाने में भी दानिश की अच्छी खासी मेहनत रही. इसी का इनाम योगी सरकार ने दानिश को राज्यमत्री बना कर दिया है.
–शंभू नाथ गौतम