दोस्तों, आज हम चर्चा एक ऐसे ज्वलंत सील विषय पर करने जा रहे हैं, जो किसी भी देश के लिए अच्छे नहीं कहे जा सकते हैं. जैसे आर्थिक संकट, भुखमरी, महंगाई, दिवालिया, गृह युद्ध जैसे बनते हालात और पलायन करते लोग. इन हालातों से हमारा पड़ोसी श्रीलंका जूझ रहा है. सोने की लंका कहा जाने वाला यह देश आज खाद्यान्न संकट के लिए मोहताज है. यहां की सरकार कई देशों की ओर आर्थिक मदद के लिए हाथ फैला रही है. ईंधन, दाल, चावल और दूध लेने के लिए हजारों लोग घंटों लाइन में लगे हुए हैं. करीब 3 साल पहले शुरू हुआ श्रीलंका में वित्तीय संकट अब विकराल रूप ले चुका है. खाद्यान्न वस्तुओं पर कीमतें इतनी ज्यादा हो गई हैं कि सुनकर चौंक जाएंगे.
आइए अब जान लेते हैं. आर्थिक तंगी से जूझ रहे श्रीलंका में 400 ग्राम दूध 790 रुपए का मिल रहा है. एक किलो चावल भी अब 500 रुपए का हो चुका है. तेल खरीदने के चक्कर में अभी तक श्रीलंका में कई लोगों की मौत भी हो चुकी है. अब हालात इतने बिगड़ चुके हैं कि श्रीलंका की सरकार ने पेट्रोल पंपों ओर गैस स्टेशनों पर सेना को तैनात किया गया है. श्रीलंका के लोग अब भुखमरी और महंगाई से बचने के लिए भारत की ओर पलायन कर रहे हैं. कई परिवार चोरी, छुपे तमिलनाडु के रास्ते नाव वालों को हजारों रुपए देकर भारत में दाखिल हो रहे हैं. आर्थिक संकट का असर छात्रों पर भी पड़ रहा है. पिछले दिनों कागजात की भारी कमी के कारण श्रीलंका में सभी परीक्षाएं अनिश्चितकाल के लिए रद कर दी गई . इस छोटे से देश में जबरदस्त अफरा-तफरी का माहौल है. अब आपको बताते हैं श्रीलंका में यह आर्थिक संकट कब से शुरू हुआ.
साल 2019 में चर्च में बम विस्फोट के बाद श्रीलंका में वित्तीय संकट की हुई थी शुरुआत
भारत का पड़ोसी श्रीलंका पर्यटन पर पूरी तरह से निर्भर है. श्रीलंका के समुद्र समेत कई पर्यटन स्थल भारतीयों समेत विश्व भर के सैलानियों को आकर्षित करते हैं. यहां का रहन-सहन सस्ता भी है. लेकिन साल 2019 की घटना के बाद यहां वित्तीय संकट की उल्टी गिनती शुरू हो गई थी. क्रिश्चियन के त्योहार ईस्टर के दौरान कोलंबो में 2019 के सीरियल बम विस्फोट ने पहले ही देश के पर्यटन क्षेत्र को बुरी तरह प्रभावित किया था, जिसका सीधा असर अर्थव्यवस्था और विदेशी मुद्रा भंडार पर पड़ा था. बम विस्फोट के बाद पर्यटकों की संख्या लगातार घटती गई. इसके अलावा श्रीलंका का वित्तीय संकट विदेशी मुद्रा की गंभीर कमी से उपजा है, जिससे व्यापारी आयात को वित्तपोषित करने में असमर्थ हैं. देश का टूरिज्म सेक्टर जो फॉरेन एक्सचेंज का मुख्य सोर्स है वो भी कोरोना महामारी के बाद से संकट के दौर से गुजर रहा है. कोरोना महामारी की वजह से श्रीलंका में सैलानी आना बंद हो गए. चीन सहित कई देशों के कर्ज में डूबा श्रीलंका दिवालिया घोषित हो सकता है.
यही हालात रहे तो 1989 के गृह युद्ध जैसी स्थिति बन सकती है. इसकी वजह से पलायन शुरू हो गया है. राष्ट्रपति गोटबाया राजपक्षे श्रीलंका संकट से उभारने के लिए अंतरराष्ट्रीय मुद्रा कोष से राहत की मांग रहे हैं. वहीं पड़ोसी श्रीलंका की मदद के लिए भारत सरकार ने हाथ बढ़ाया है. भारत ने अपने पड़ोसी देश को 90 करोड़ डॉलर से ज्यादा का कर्ज देने की घोषणा की है. इससे देश को विदेशी मुद्रा भंडार बढ़ाने और खाद्य आयात में मदद मिलेगी.
–शंभू नाथ गौतम