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राष्ट्रीय किसान दिवस: किसानों के अधिकार और उनके विकास के लिए चौधरी चरण सिंह कभी पीछे नहीं हटे

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आज राष्ट्रीय किसान दिवस है. किसान जिसे अन्नदाता कहा जाता है यही वह इंसान है जो देश का पेट भरता है. किसानों को भारत के आर्थिक विकास की रीढ़ माना जाता है. देश के समग्र आर्थिक और सामाजिक विकास में किसानों की महत्वपूर्ण भूमिका के लिए भी यह दिवस मनाया जाता है. आज भारत के अन्नदाता किसानों के लिए बेहद खास दिन हैं, क्योंकि राष्ट्रीय किसान दिवस मनाया जा रहा है।‌. वहीं इस दिन कृषि और लोगों को शिक्षित करने और ज्ञान प्रदान करने के महत्व पर विभिन्न कार्यक्रम, सेमिनार, समारोह आयोजित किए जाते हैं.

पिछले वर्ष मोदी सरकार ने कृषि कानून लगाने के बाद देशभर के किसानों में भारी नाराजगी देखने को मिली थी. पिछले दिनों संसद के शीतकालीन सत्र में केंद्र सरकार ने विधेयक पारित कराकर तीनों कृषि कानूनों को समाप्त कर दिया. जिसके बाद किसान अब राहत महसूस कर रहा है. आइए आज आपको राष्ट्रीय किसान दिवस पर इस दिन को मनाने का उद्देश्य और क्यों मनाया जाता है बताते है.

देश के पांचवें प्रधानमंत्री और किसानों के मसीहा चौधरी चरण सिंह के जन्मदिवस पर राष्ट्रीय किसान दिवस पूरे देश में मनाया जाता है. बता दें कि केंद्र की अटल बिहारी वाजपेयी सरकार ने साल 2001 में चौधरी चरण सिंह के सम्मान में हर साल 23 दिसंबर को किसान दिवस मनाने का फैसला किया था. चौधरी चरण सिंह किसान नेता के साथ एक मझे हुए राजनीतिक भी थे.

चौधरी चरण सिंह उत्तर प्रदेश के दो बार मुख्यमंत्री और एक बार प्रधानमंत्री रहे

चौधरी चरण सिंह का जन्म 23 दिसंबर 1902 को मेरठ के नूरपुर गांव में हुआ था. आगरा विश्वविद्यालय से कानून की शिक्षा लेने के बाद चरण सिंह राजनीति में आ गए. राजनीति के साथ-साथ उन्होंने किसानों और सामाजिक मुद्दों पर भी कई आंदोलन किए. अपने आंदोलनों और किसानों की हक की बुलंद आवाज उठाने के चलते पूरे देश भर के किसानों के मसीहा बन गए. बता दें कि चौधरी चरण सिंह 3 अप्रैल 1967 को उत्तर प्रदेश के मुख्यमंत्री बने. 17 अप्रैल 1968 को उन्होंने मुख्यमंत्री के पद से इस्तीफा दे दिया.

मध्यावधि चुनाव में उन्हें अच्छी सफलता मिली और दोबारा 17 फरवरी 1970 के वे मुख्यमंत्री बने. उसके बाद वो केंद्र सरकार में गृहमंत्री बने तो उन्होंने मंडल और अल्पसंख्यक आयोग की स्थापना की. 1979 में वित्त मंत्री और उपप्रधानमंत्री के रूप में राष्ट्रीय कृषि व ग्रामीण विकास बैंक की स्थापना की. 28 जुलाई 1979 को चौधरी चरण सिंह समाजवादी पार्टियों तथा कांग्रेस (यू) के सहयोग से प्रधानमंत्री बने. बता दें कि मुख्यमंत्री के रूप में और केंद्र में वित्तमंत्री के रूप में उन्होंने गांवों और किसानों को प्राथमिकता देते हुए बजट बनाया था. चौधरी चरण सिंह ने अपने कार्यकाल में कृषि क्षेत्र के उत्थान में महत्वपूर्ण भूमिका निभाई और किसानों के हित के लिए कई किसान-हितैषी नीतियों का मसौदा तैयार किया. वे भले ही बहुत कम समय के लिए प्रधानमंत्री थे, लेकिन उन्होंने भारतीय किसानों के कल्याण के लिए कड़ी मेहनत की है. उनका मानना था कि देश के अन्नदाता किसानों से कृतज्ञता से पेश आना चाहिए और उन्हें उनके श्रम का प्रतिफल अवश्य मिलना चाहिए.

–शंभू नाथ गौतम

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