नैनीताल हाई कोर्ट द्वारा प्लास्टिक निर्मित कचरे पर प्रतिबंध लगाए जाने को लेकर दायर जनहित याचिका पर सुनवाई की। बता दे कि कोर्ट ने सचिव पंचायती राज को आदेश दिए कि सभी ग्राम पंचायतों को कूड़ा निस्तारण की सुविधा व संसाधन उपलब्ध कराकर रिपोर्ट कोर्ट में पेश करें।
इसी के साथ राज्य सरकार शहरी निकायों में टीम बनाकर हर माह पांच पर निरीक्षण कर प्लास्टिक वेस्ट मैनेजमेंट के नियमों का उल्लंघन करने वालों पर जुर्माना लगाए।
बता दे कि टीम में प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड, पुलिस, शहरी विकास व जिला प्रशासन के प्रतिनिधि शामिल होंगे। कोर्ट ने केंद्र सरकार के दिशा निर्देशों के तहत पांच हजार से दो करोड़ का जुर्माना लगाने संबंधी प्रविधान के अनुपालन की रिपोर्ट भी मांगी है।
इसी के साथ ही ग्रामीण इलाकों में कूड़ा निस्तारण के लिए आवंटित भूमि पर जिन लोगों ने अतिक्रमण किया है, उसमें अलग से शपथपत्र पेश करने को कहा है। अगली सुनवाई 19 मई को होगी।
हालांकि सोमवार को मुख्य न्यायाधीश न्यायमूर्ति विपिन सांघी व न्यायमूर्ति आलोक कुमार वर्मा की खंडपीठ में सुनवाई के दौरान सचिव शहरी विकास, सचिव पंचायतीराज, सचिव वन एवं पर्यावरण तथा निदेशक शहरी विकास कोर्ट में पेश हुए।
बता दे कि सचिव नितेश झा, वन सचिव विजय कुमार यादव, पीसीबी सदस्य सचिव सुशांत पटनायक, सचिव दीपेंद्र चौधरी आदि ने बताया कि कोर्ट के आदेशों का पालन किया जा रहा है।
याचिकाकर्ता के अधिवक्ता दुष्यंत मैनाली ने बताया कि ग्रामीण इलाकों में कूड़ा निस्तारण के लिए आवंटित भूमि पर अतिक्रमण है। गांवों मे कूड़ा निस्तारण की व्यवस्था उपलब्ध नही है।