जम्मू कश्मीर सरकार ने करीब 33 साल बाद श्रीनगर शहर में गुरुबाजार से डलगेट तक मुहर्रम जुलूस निकालने की अनुमति दी। गुरुवार सुबह बड़ी संख्या में अकीदतमंद मुहर्रम के जुलूस में शामिल हुए। 33 वर्ष बाद शिया समुदाय 8वें मुहर्रम (गुरुवार) के अजादारी का जुलूस सशर्त निकाला। इससे पहले शहर में बुधवार को सातवें मुहर्रम का जुलूस निकाला गया।
अधिकारियों ने व्यस्त लाल चौक क्षेत्र से गुजरने वाले मार्ग पर जुलूस के लिए सुबह छह बजे से आठ बजे तक समय तय किया था। इसके चलते शोक मनाने वाले अकीदतमंद सुबह साढ़े पांच बजे से ही गुरुबाजार में एकत्र होना शुरु हो गए। 90 के दशक में कश्मीर में आतंकवाद फैलने के बाद जुलूस नहीं निकला था।
शिया अजादारी के जुलूसों पर 1989 से प्रतिबंध है। बताया जाता है कि 1989 को ऐसे ही एक बड़े जुलूस में कुछ आतंकी घुस गए थे और इसमें एचएजेवाई ग्रुप यानी तबके नामी आतंकी कमांडर हमीद शेख, अशफाक मजीद, जावेद मीर और यासीन मलिक शामिल थे। जुलूस में देश विरोधी नारेबाजी हुई, जिसको देख तत्कालीन राज्यपाल जगमोहन ने इस पर प्रतिबंध लगा दिया था।
कश्मीर के मंडलायुक्त वीके विधूड़ी ने बुधवार को कहा कि जुलूस के दौरान सभी को इस बात का खयाल रखना है कि वीरवार (8 वां मुहर्रम) वर्किंग डे है और यह रूट (लालचौक) मुख्य रास्ता है। दूसरे लोगों को जुलूस के दौरान कोई दिक्कत न हो इसके कारण इसका समय सुबह 6 से 8 बजे तक रखा गया।