एक नज़र इधर भी

दृढ़ इरादों वाली मनदीप कौर ने न्यूजीलैंड में पुलिस अधिकारी बनने का सपना किया पूरा

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जीवन में कभी हार नहीं मानना चाहिए । कठिन दौर में भी हिम्मत मत हारो, रास्ते चाहे कितने भी जटिल क्यों न हों आगे बढ़ते रहो । जो ठान लो उसे पूरा करके छोड़ो । आज हम एक ऐसी साहसी महिला की बात करने जा रहे हैं जिसके जिंदगी बहुत संघर्षों से भरी रही लेकिन फिर भी उन्होंने हार नहीं मानी और अपनी मंजिल हासिल कर ली । आइए अब बात को आगे बढ़ाते हैं । हम आपको लिए चलते हैं भारत के राज्य पंजाब ।

यहां की महिला हैं मनदीप कौर। आज की स्टोरी इन्हीं पर आधारित है । मनदीप का जन्म पंजाब के मालवा में हुआ था। उनकी शादी 18 साल की उम्र में हो गई थी । पारिवारिक कारणों से वर्ष 1992 में उनकी शादी टूट गई और वे अपने दोनों बच्चों के साथ मायके आकर रहने लगी। लेकिन कुछ कर गुजरने की इच्छा उन्हें घर पर बैठने नहीं दे रही थी। बता दें कि मनदीप बचपन से ही पुलिस में जाने का सपना देखतीं थीं ।

बाद में उन्होंने विदेश जाने की ठान ली। साल 1999 में वे 30 साल की उम्र में ऑस्ट्रेलिया पहुंच गई । ऑस्ट्रेलिया जाते वक्त अपने दोनों बच्चों को मायके में ही छोड़ गई थीं। ऑस्ट्रेलिया में उन्होंने कुछ दिन गुजारे और वहां प्राइवेट जॉब करती रहीं। उसके कुछ समय बाद ही मनदीप ऑस्ट्रेलिया से न्यूजीलैंड पहुंच गईं । लेकिन उनके सामने सबसे बड़ी समस्या यह थी कि उन्हें अंग्रेजी इतनी अच्छी तरह से नहीं आती थी ।

मनदीप को न्यूजीलैंड भाग गया और यहां अपने सपनों को पूरा करने के लिए स्ट्रगल शुरू कर दिया । लेकिन उस समय उनकी माली हालत ठीक नहीं थी । वह न्यूजीलैंड के सबसे बड़े शहर ऑकलैंड में रह रही थी । आपको बता दें कि न्यूजीलैंड का ऑकलैंड एक ऐसा शहर है जहां सबसे ज्यादा भारतीय मूल के लोग रहते हैं । पैसे कमाने के लिए मनदीप ने यहां टैक्सी चलाना शुरू कर दिया। लेकिन अपने हौसले को बरकरार रखा ।

‘एक दिन टैक्सी में एक यात्री ने उनसे कहा कि अपने बचपन के सपने को जीना आपको खुश रखने में मदद करता है’। बस इसी के बाद से उनके जेहन में बचपन से पुलिस बनने की ख्वाहिश एक बार फिर जाग उठी । हालांकि मनदीप का न्यूजीलैंड पुलिस में भर्ती होना इतना आसान नहीं था, उन्होंने कई बाधाओं को भी पार किया । अपनी मंजिल पर पहुंचने के लिए उन्होंने कड़ी मेहनत करनी शुरू कर दी । पुलिस में भर्ती होने के लिए उन्होंने दिन-रात एक कर दिया ।

न्यूजीलैंड के रिटायर्ड पुलिस अधिकारी ने मनदीप की मदद की—

बता दें कि ऑकलैंड में मनदीप कौर एक महिला लॉज में रहा करती थीं । वहीं पास में न्यूजीलैंड के रिटायर्ड पुलिस अधिकारी जॉन पैगलर भी ड्यूटी किया करते थे । जब-जब मनदीप कौर टैक्सी चलाकर आतीं तब पैगलर के पास कुछ समय बैठ कर बातें किया करतीं थीं ।

एख दिन बातों-बातों में ही मनदीप ने उनसे न्यूजीलैंड पुलिस में भर्ती होने के लिए कह दिया । उन्होंने मनदीप की पुलिस बनने की इच्छा को बहुत ही गंभीरता से लिया और उनकी आगे की राह आसान भी बनाने में जुट गए । इसके बाद मनदीप का सपना साकार करने के लिए उनके माता-पिता, बच्चे और रिटायर्ड पुलिस अधिकारी पैगलर सभी मदद करने लगे।

मनदीप ने न्यूजीलैंड पुलिस में भर्ती होने के लिए स्विमिंग सीखी और अपना वजन भी कम किया। आखिरकार कड़ी मेहनत के बाद साल 2004 में मनदीप ने न्यूजीलैंड में सीनियर कॉन्स्टेबल के पद पर जॉइनिंग करने में सफल रहीं । इस दौरान अपनी पुलिस सेवा में रहते उन्होंनेे कई कार्य बहुत ही अच्छे किए ।

अपने इस लंबे कार्यकाल में मनदीप कौर ने फ्रंटलाइन अफसर रोड पुलिसिंग, पारिवारिक हिंसा, नेबरहुड पुलिसिंग, कम्युनिटी पुलिसिंग और बड़े अपराधों की जांच में सहयोग प्रदान किया। इसके बाद कुछ वर्ष और बीता और उनकी जिंदगी सही दिशा में बढ़ने लगी। अपने अच्छे कार्यो की बदौलत पिछले दिनों 52 वर्षीय मनदीप कौर का न्यूजीलैंड पुलिस में ‘प्रमोशन’ भी कर दिया गया ।

अब वे ‘सीनियर सर्जेंट’ के रूप में तैनात हैं । वह इस पोस्ट पर पहुंचने वाली पहली भारतीय महिला हैं । उनके दोनों बच्चे भी उन्हीं के पास न्यूजीलैंड में रहते हैं । ‘वो कहती हैं कि अगर आप अपने आसपास देखोगे तो हमेशा आपको ऐसे लोग दिखेंगे जो आपकी मदद कर सकते हैं। उन्हें पहचानने में खुद में बदलाव करो और उस बदलाव के जरिए खुद को बदलो’ ।

मनदीप कौर मौजूदा समय में हेंडरसन पुलिस स्टेशन में तैनात हैं। वहां पर सामुदायिक जनसंपर्क अधिकारी की जिम्मेदारी संभाल रही हैं। उनका काम विभिन्न समुदायों के साथ तालमेल रखना, हिंसा पीड़ित घरों में जाकर उन्हें आश्वासन देना और विभिन्न सामाजिक कार्यक्रमों के बारे में लोगों को सलाह देना है। भारत से न्यूजीलैंड जाकर टैक्सी ड्राइवर और फिर पुलिस अधिकारी बनने का उनका सफर उनके लिए मिसाल है जो हताश और थक कर बैठ जाते हैं ।

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