ITO से लाल किला तक महासंग्राम, कैसे हिंसक रैली में बदल गई ट्रैक्टर परेड, 10 प्वाइंट में जानें कल दिल्ली में क्या-क्या हुआ

कृषि कानूनों के खिलाफ पिछले दो महीनों से दिल्ली की सीमाओं पर प्रदर्शनकर रहे किसानों ने 26 जनवरी को दिल्ली की सड़कों पर शांतिपूर्ण तरीके से ट्रैक्टर परेड निकालने का वादा किया था, मगर यह वादा खोखला साबित हुआ और दिल्ली में दिनभर चारों तरफ बवाल और झड़पें होती रहीं। गणतंत्र दिवस के मौके पर राजधानी दिल्ली में ऐसा उत्पात मचेगा, इसकी उम्मीद किसी को नहीं थी। मगर हकीकत तो यही है कि 26 जनवरी को दिल्ली में प्रदर्शनकारी किसानों ने ऐसा बवाल काटा, जिसकी गूंज काफी समय तक सुनाई देगी। ट्रैक्टर परेड के दौरान हिंसा में 86 पुलिसकर्मी समेत 100 से अधिक लोग घायल हो गए हैं। हालांकि, अब इस मामले में पुलिस ने एक्शन लिया है और अब तक 7 एफआईआर दर्ज की हैं। माना जा रहा है कि अभी और एफआईआर दर्ज की जाएंगी। दिल्ली की सीमाओं मसलन सिंघु बॉर्डर, टिकरी बॉर्डर और गाजीपुर बॉर्डर से शुरू हुआ ट्रैक्टर परेड हिंसा, झड़प और बवाल के बीच लालकिला पर पहुंचकर खत्म हुआ। तो चलिए जानते हैं कब और क्या हुआ। 

1. दिल्ली पुलिस ने मंगलवार को राष्ट्रीय राजधानी में किसानों की ट्रैक्टर परेड के मामले में सात प्राथमिकी दर्ज की। इनमें से पूर्वी जिले में तीन प्राथमिकी दर्ज की गई है। द्वारका में तीन और शाहदरा जिले में एक मामला दर्ज किया गया है। पुलिस का मानना है कि अभी और प्राथमिकी दर्ज होने के आसार हैं। इससे पहले दिन में तीन कृषि कानूनों के खिलाफ हजारों किसानों ने पुलिस के अवरोधकों को तोड़ दिया और पुलिस के साथ झड़प की, वाहनों में तोड़ फोड़ की और लाल किले पर धार्मिक झंडे फहरा दिये।

2. किसानों की ट्रैक्टर रैली के लिए दिल्ली पुलिस ने पहले से ही रूट निर्धारित किए थे। किसान संगठनों ने भी पुलिस की इन शर्तों को मंजूर किया था, मगर गणतंत्र दिवस की सुबह से ही ट्रैक्टर परेड की तस्वीर बदलती गई। प्रदर्शनकारी किसानों ने रूट को फॉलो नहीं किया और जगह-जगह बैरिकेड्स को तोड़कर आगे बढ़ते गए। प्रदर्शनकारियों को रोकने के लिए जहां-जहां डीटीसी की बसें थी, ट्रैक्टर से प्रदर्शनकारी किसानों ने उसे तोड़ो और धक्का देकर हटा दिया। प्रदर्शनकारी किसानों ने जमकर तोड़फोड़ की और बवाल काटा।

3. सिंघु बॉर्डर पर बैठे किसान ट्रैक्टर मार्च के लिए 12 बजे तक का इंतजार नहीं करना चाहते थे। इसलिए उन्होंने सुबह आठ बजे सभी बैरिकेडिंग तोड़कर ट्रैक्टर दिल्ली की सीमा में घुसा दिया। संगठित होकर कई ट्रैक्टरों ने वहां लगी बैरिकेडिंग तोड़ दी। इस दौरान पुलिस के साथ किसानों की हल्की झड़प भी हुई, लेकिन एक बार जो किसानों का ट्रैक्टर मार्च शुरू हुआ तो देर शाम तक वहां से ट्रैक्टरों का सजा धजा काफिला निकलता रहा।
 एक ट्रैक्टर पर न्यूनतम पांच लोग बैठे थे। कई ऐसे भी ट्रैक्टर थे, जो जोर-शोर से डीजे बजा रहे थे और जान की परवाह किए बिना उस पर युवा लटके हुए थे। कई किसानों ने ट्रैक्टरों के पीछे बुजुर्गों के बैठने की खास व्यवस्था की थी, जिससे वह भी ट्रैक्टर परेड में हिस्सा ले सकें। किसानों के स्वागत के लिए स्थानीय लोग फूल माला लेकर खड़े थे और उनके ऊपर फूल बरसा रहे थे। सिंघु बार्डर से किसानों का काफिला निकलने के बाद वहां सुरक्षा व्यवस्था में पुलिसकर्मी बस मूकदर्शक बने रहे। इनकी संख्या वहां मौजूद किसानों से काफी कम थी।

4 . ट्रैक्टर परेड में हुई हिंसा में 83 पुलिसकर्मियों सहित 100 से ज्यादा लोग घायल हुए हैं और 25 वाहनों में तोड़फोड़ की गई। ट्रैक्टर परेड के दौरान किसानों ने 88 बैरिकेड्स तोड़े, चार क्रेन, डीटीसी की आठ बस और 17 निजी वाहनों को क्षतिग्रस्त कर दिया। इतना ही नहीं, लाल किला हिंसा मामले में भी कोतवाली थाने में एफआईआर दर्ज की गई है। यहां पर किसान आंदोलनकारियों ने दिल्ली पुलिस के वाहन को क्षतिग्रस्त कर दिया। फिर जबरन लाल किला के अंदर घुस गये और प्रवेश द्वार पर लगे स्कैनर और मेटल डिटेक्टर आदि को तोड़ दिया। इस दौरान उन्होंने सामने आने वाली सभी वस्तुओं को नष्ट कर दिया। आलम यह था कि किसानों से बचने के लिए पुलिसकर्मी किले की दीवार से सटी बीस फीट गहरी खाई में कूद गए। इसकी वजह से कई पुलिसकर्मियों के हाथ पैर टूटे हैं। 

5.आईटीओ पर सबसे बड़ा संग्राम देखने को मिला। आईटीओ पर किसानों ने न सिर्फ बैरिकेड्स तोड़े बल्कि यहां पुलिस वालों पर ट्रैक्टर चढ़ाने की भी तस्वीर सामने आई। इसी आईटीओ के पास ट्रैक्टर से बैरिकेड्स हटाने की कोशिश में एक किसान की मौत हो गई। यहां पुलिस के साथ किसानों की खूब झड़प हुई, जिसमें पुलिस ने लाठीचार्ज किया और आंसू गैस के गोले दागे। यहां सबसे अधिक तोड़फोड़ की बात सामने आई है। आईटीओ पर लाठी-डंडा लिए सैकड़ों किसान पुलिस का पीछा करते देखे गए और उन्होंने वहां खड़ी बसों को अपने ट्रैक्टरों से टक्कर मारी। एक प्रदर्शनकारी की तब मौत हो गई जब उसका ट्रैक्टर पलट गया। आईटीओ और लाल किला पर किसानों के बवाल को देखते हुए कई मेट्रो स्टेशन के एग्जिट और एंट्री गेट को बंद कर दिया गया, जिसमें लाल किला मेट्रो स्टेशन समेत ग्रीन और ग्रे लाइन की सारी मेट्रो स्टेशन हैं। 

6. दिल्ली पुलिस ने कहा कि प्रदर्शनकारी किसानों ने ट्रैक्टर परेड के लिए पूर्व निर्धारित शर्तों पर बनी सहमति का पालन नहीं किया। साथ ही हिंसा तथा तोड़फोड़ की जिसमें अनेक पुलिसकर्मी घायल हुए हैं। डीसीपी ईश सिंघल ने बताया कि पुलिस ने रैली की शर्तों के अनुपालन के लिए सभी प्रयास किए, लेकिन प्रदर्शनकारियों ने निर्धारित समय से काफी पहले ही अपना मार्च शुरू कर दिया और सार्वजनिक संपत्ति को भारी नुकसान पहुंचाया। सिंघल ने कहा कि पुलिस ने वायदे के अनुरूप सभी शर्तों का पालन किया और अपने सभी प्रयास किए, लेकिन प्रदर्शन में सार्वजनिक संपत्ति को भारी नुकसान हुआ है। प्रदर्शन के दौरान अनेक पुलिसकर्मी घायल भी हुए हैं। लाठी-डंडा, तिरंगा और अपनी यूनियनों के झंडे लिए हजारों किसानों ने ट्रैक्टरों से बैरिकेड को तोड़ दिया। वे पुलिस से भिड़ गए और विभिन्न स्थानों से दिल्ली के भीतर घुस गए। 

7. वहीं डीडीयू मार्ग पर हुई किसान की मौत पर भी दिल्ली पुलिस ने सफाई दी। दिल्ली पुलिस ने सीसीटीवी कैमरे की फुटेज जारी करते हुए कहा कि तेज रफ्तार ट्रैक्टर बैरिकेड से टकरा गया। फिर ट्रैक्टर पलट गया, जिसकी वजह से चालक की मौत हो गई। पुलिस अधिकारी ने बताया कि चालक की मौत पुलिस वजह से नहीं हुई है जैसा कि प्रदर्शनकारी किसान आरोप लगा रहे हैं। फिलहाल आईपी इस्टेट पुलिस ने किसान के शव को कब्जे में लेकर पोस्टमार्टम के लिए भेज दिया है।

8. गणतंत्र दिवस के दोपहर में किसानों का काफिला लाल किले के परिसर में जा घुसा। सैकड़ों किसान प्राचीर तक पहुंच गए और यहां ठीक उस जगह पर निशान साहिब और किसान संगठनों के झंडे लगा दिए हैं जहां, हर साल स्वतंत्रता दिवस पर प्रधानमंत्री तिरंगा फहराते हैं। हालांकि, कुछ ही देर में पुलिसकर्मियों ने इन झंडों को वहां से हटा दिया। इस दरौन नीचे खड़े प्रदर्शनकारी हूटिंग करते रहे। इसके बाद कई प्रदर्शनकारी गुंबदों पर झड गए और वहां भी झंडे लगा दिए। बाद में फिर किसान अपने-अपने ठिकानों की ओर लौट गए।

9. दिल्ली में बवाल को देखते हुए शाम को गृह मंत्रालय ने एक समीक्षा बैठक की और तनाव के कारण अतिरिक्त अर्धसैनिक बलों को तैनात किया जाएगा। तैनात किये जाने वाले अतिरिक्त बलों की सही संख्या तुरंत ज्ञात नहीं है, लेकिन अधिकारियों के अनुसार यह लगभग 1,500 से 2,000 कर्मियों (लगभग 15 से 20 कंपनियां) हो सकती है। केंद्रीय गृह मंत्री अमित शाह की अध्यक्षता में एक उच्च-स्तरीय बैठक में यह निर्णय लिया गया। हिंसा पर अंकुश लगाने के उद्देश्य से मंत्रालय ने सिंघू, गाजीपुर और टीकरी और उनके आसपास के इलाकों सहित दिल्ली के कुछ हिस्सों में इंटरनेट सेवाओं को मंगलवार दोपहर से 12 घंटे के लिए अस्थायी रूप से निलंबित करने का फैसला किया। 

10. कृषि कानूनों को निरस्त करने की मांग को लेकर राष्ट्रीय राजधानी की सीमा पर विरोध प्रदर्शनों की अगुवाई करने वाले किसान नेताओं ने उन प्रदर्शनों से खुद को अलग कर लिया जिसने ऐसा अप्रत्याशित मोड़ ले लिया जिससे उनके आंदोलन को अब तक मिली लोगों की सहानुभूति के छिनने का खतरा उत्पन्न हो गया है। 41 किसान यूनियनों के निकाय संयुक्त किसान मोर्चा ने आरोप लगाया कि कुछ ”असामाजिक तत्व उनके आंदोलन में घुस गए जो अभी तक शांतिपूर्ण था। मोर्चा ने अवांछित और अस्वीकार्य घटनाओं की निंदा की और खेद जताया क्योंकि कुछ किसान समूहों द्वारा मार्च के लिए पहले से तय रास्ता बदलने के बाद परेड हिंसक हो गई। उसने एक बयान में कहा, हमने हमेशा कहा है कि शांति हमारी सबसे बड़ी ताकत है और किसी भी उल्लंघन से आंदोलन को नुकसान होगा ..स्वराज इंडिया के अध्यक्ष योगेंद्र यादव ने नाराज़गी जताते हुए कहा कि उन्हें शर्म आती है।

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